मुंबई। महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में 2008 में हुए बम धमाके के मामले में आज एनआईए की विशेष अदालत अपना फैसला सुनाने जा रही है। इस धमाके में 6 लोगों की मौत और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। मुख्य आरोपी के तौर पर पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित 7 अन्य लोग इस समय ट्रायल का सामना कर रहे हैं।
29 सितंबर 2008 को रमजान के दौरान नमाज के समय मालेगांव में हुए विस्फोट ने पूरे देश को हिला दिया था। बम एक एलएमएल फ्रीडम बाइक में लगाया गया था, जो बाद में जांच में साध्वी प्रज्ञा के नाम पंजीकृत पाई गई। शुरू में मामले की जांच पुलिस ने की, फिर इसे एटीएस को सौंपा गया और अंत में एनआईए ने जिम्मेदारी संभाली।
2011 में पहली चार्जशीट दाखिल
एनआईए ने 2011 में पहली चार्जशीट दाखिल की और 2016 में मकोका हटाकर साध्वी प्रज्ञा सहित सात आरोपियों पर नए सिरे से चार्जशीट दाखिल की। ट्रायल के दौरान कुल 300 से अधिक गवाह पेश हुए, जिनमें से 35 से अधिक ने अपने बयान से पलटी मार दी। गवाहों के पलटने से केस कमजोर होता गया और अदालत ने भी कई बार नाराजगी जताई।
कोर्ट ने पेश होने दिया निर्देश
कोर्ट ने सभी आरोपियों को आज 31 जुलाई को विशेष अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। सुरक्षा के मद्देनजर कोर्ट परिसर में अन्य मामलों की सुनवाई या तो टाली गई है या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये की जा रही है।
अगर आज सभी आरोपियों को दोषमुक्त किया जाता है, तो यह भारत के सबसे चर्चित आतंकवादी मामलों में से एक में नया मोड़ होगा। वहीं, दोष सिद्धि की स्थिति में यह केस आने वाले समय में राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से अहम प्रभाव डाल सकता है।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर इस केस के दौरान राजनीति में सक्रिय हुईं और 2019 में भोपाल से लोकसभा चुनाव भी जीता। अब पूरे देश की नजर इस फैसले पर टिकी है कि 17 साल पुराने इस केस में आज न्याय की क्या तस्वीर सामने आती है।