छत्तीसगढ़ में 20 हजार ‘मौत’ के कुएं: वन्य प्राणियों के लिए बढ़ता खतरा, विभाग की लापरवाही उजागर

Chhattisgarh, Open Wells, Wildlife Danger, Elephant Rescue, Baranwapara Sanctuary, Forest Department Negligence, Supreme Court Order, CAMPA Fund, Wildlife Protection, Raigarh Incident, Balodabazar Incident, Nitin Singhvi, Open Wells Closure, Animal Safety,

रायपुर। बारनवापारा अभयारण्य में तीन नवंबर की रात खुले कुएं में एक शावक सहित तीन हाथियों के गिरने की घटना ने पूरे प्रदेश में वन्यजीव सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाई कोर्ट ने इस घटना के बाद राज्य को फटकारते हुए वन क्षेत्र में सुरक्षा इंतज़ाम दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं। अनुमान है कि छत्तीसगढ़ में करीब 20 हजार खुले और सूखे कुएं मौजूद हैं, जो वन्य प्राणियों के लिए मौत का जाल बने हुए हैं। कई कुएं सूखे हैं तो कई में पानी भरा है—दोनों ही स्थितियों में यह जंगली जानवरों के लिए बेहद खतरनाक हैं।

रायपुर निवासी वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने इसे वन विभाग की घोर लापरवाही बताया। वे 2018 से ही इन कुओं को बंद करने या सुरक्षित ढंकने की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद राज्य सरकार के पास इस दिशा में कोई ठोस योजना नहीं है। दो महीने के भीतर हुई दो बड़ी घटनाओं ने स्थिति को और चिंताजनक बना दिया है। रायगढ़ में तालाब में फंसे हाथी के शावक को घंटों की मशक्कत के बाद रेस्क्यू किया गया, जबकि बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में गहरे कुएं में चार हाथियों का गिरना बड़ा हादसा था।

केंद्र सरकार ने भी 2021 में राज्य को पत्र लिखकर खुले कुओं को बंद करने के निर्देश दिए थे। 2022 का आदेश आज तक लागू नहीं हुआ। सात वर्षों में वन विभाग ने इन 20 हजार कुओं में से केवल 450 कुओं पर ही कैंपा फंड से सुरक्षा दीवार बनवाई है। 2017 में प्रतापपुर में हथिनी की मौत के बाद भी विभाग ने सबक नहीं लिया। हर साल भालू, तेंदुए, लकड़बग्घे, हिरण और कई अन्य वन्य प्राणी इन मौत के कुओं में गिरकर अपनी जान गंवा देते हैं या घायल होकर आजीवन चिड़ियाघर में कैद रहने को मजबूर हो जाते हैं।

वन्यजीव प्रेमियों और विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तुरंत बड़े स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई, तो प्रदेश में वन्यजीवों के संरक्षण प्रयास अधूरे ही रह जाएंगे।

Share This News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *