मथुरा में 21 किमी की गोवर्धन परिक्रमा, 2 लाख श्रद्धालु पहुंचे

उत्तर प्रदेश के मथुरा में गोवर्धन पूजा पर भक्तों का सैलाब उमड़ा है। श्रद्धालु गोवर्धन पर्वत की 21 किलोमीटर की परिक्रमा कर रहे हैं। अब तक 2 लाख से ज्यादा श्रद्धालु परिक्रमा कर चुके हैं। शाम तक 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है।

भारत के अलग-अलग राज्यों सहित विदेश से भी भक्त पहुंचे हैं। गिरिराज जी की भक्ति में भक्त झूम रहे हैं। गिरिराज जी को 1008 तरह के व्यंजनों का भोग लगाया गया। इस पर्व पर लोग घरों में भी गाय के गोबर से गिरिराज जी को बनाकर पूजा किया। इसके साथ ही नए अनाज से बने कई तरह के पकवान बनाकर उनको भोग लगाते हैं। जिसे अन्नकूट कहते हैं।

यह है मान्यता

द्वापर में भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था। 7 दिन 7 रात तक उठाने के बाद श्री कृष्ण ने इंद्र का मान भंग किया और ब्रजवासियों की रक्षा की। इससे प्रसन्न होकर ब्रजवासियों ने उनको अपने-अपने घर से बने व्यंजन ला कर अर्पित किए, जिसके बाद श्री कृष्ण को गिर्राज जी के स्वरूप में पूजा जाता है। तभी से दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की परंपरा चली आ रही है।

जतीपुरा मुखारबिंद मंदिर में शिला को गाय के दूध से नहलाया जाता है। फिर इसका श्रंगार किया जाता है।

ब्रज में बने गोबर के गिरिराज

ब्रज मंडल यानी मथुरा जिले में गोवर्धन पर्वत पर गोवर्धन गांव बसा हुआ है। सड़कें बनी हुई हैं, गाड़ी-वाहन चलते हैं। यहां से 20 किमी आगे जाएंगे तो बरसाना और फिर नंद गांव मिलेगा। गोवर्धन पूजा के दिन सुबह-सुबह यहां के लोग घरों के बाहर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की एक बड़ी आकृति बनाते हैं। विशेष पूजा के बाद उन्हें अन्नकूट यानी नए अनाज से बने 56 व्यंजनों का भोग लगाते हैं।

पूरा दिन उत्साह में बीतता है। फिर शाम के वक्त सभी लोग असल गोवर्धन पर्वत की पूजा में हिस्सा लेने पहुंचते हैं। गोवर्धन पर्वत पर मौजूद दान घाटी मंदिर के महंत पवन जी ने बताया- गोवर्धन पर्वत 7 कोस यानी 21 किमी में फैला है इसलिए लोग गोवर्धन परिक्रमा में मौजूद 3 प्रमुख मंदिरों में होती है। इन मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण को शिला रूप में पूजा जाता है।

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