रायपुर। छत्तीसगढ़ के गारे कोल ब्लॉक के भू अधिग्रहण से प्रभावित 49 किसानों ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। इन किसानों ने राज्य और केंद्र सरकार, कलेक्टर रायगढ़, एसडीओ घरघोड़ा और जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के खिलाफ यह याचिका दाखिल की है।
किसानों का आरोप है कि नया भूमि अधिग्रहण कानून लागू होने के बावजूद पुराने कानून के तहत उनकी जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है।किसानों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजा 2010 की अधिसूचना के आधार पर तय किया जा रहा है, जबकि पिछले 15 सालों में जमीन की कीमतों में काफी वृद्धि हो चुकी है। याचिका में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार और कलेक्टर अवार्ड के आधार के बारे में स्पष्ट नहीं कर रहे हैं, और न ही किसानों को भूमि अधिग्रहण अवार्ड की कॉपी दी जा रही है।
अवैध कब्जे का आरोप
किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड ने उनकी जमीनों पर सितंबर-अक्टूबर 2024 से अवैध कब्जा कर लिया है, जो पूरी तरह से कानून का उल्लंघन है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया कि संविधान की धारा 254 के अनुसार, अगर संसद द्वारा किसी क्षेत्र में कानून बना दिया गया है, तो राज्य सरकार द्वारा बनाए गए कोई कानून वहां लागू नहीं हो सकते। इसलिए, यह भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया असंवैधानिक है।
राज्य सरकार का पक्ष
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत और शशांक ठाकुर ने अदालत में यह तर्क प्रस्तुत किया कि इस मुद्दे पर पहले भी एक याचिका दायर की जा चुकी थी, जिसे निपटाया जा चुका है। लेकिन याचिकाकर्ताओं ने इसे खारिज किया, क्योंकि उन्होंने बताया कि पहले की याचिका में केवल 8 किसान शामिल थे, जबकि वर्तमान याचिका 49 किसानों की ओर से दायर की गई है।
नए भूमि अधिग्रहण कानून की अहमियत
किसानों का कहना है कि नया भूमि अधिग्रहण कानून प्रभावित लोगों को पुनर्वास और पुनर्स्थापना के कानूनी अधिकार देता है, जिसे नजरअंदाज किया जा रहा है। इस मामले की सुनवाई अब उच्च न्यायालय में जारी है, और कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।