छत्तीसगढ़ से सेंट्रल पूल के लिए केंद्र को 70 लाख मीट्रिक टन चावल, पहले की तरह खींचतान नहीं

छत्तीसगढ़ में वर्ष 2024-25 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले 160 लाख मीट्रिक टन धान में से तैयार हुए चावल का एक बड़ा हिस्सा यानी 70 लाख मीट्रिक टन चावल केंद्र सरकार सेंट्रल पूल के लिए लेगी। इसी तरह राज्य सरकार के नागरिक आपूर्ति निगम में राज्य पूल के लिए 14.30 लाख मीट्रिक टन चावल लिया जाएगा। खास बात ये है कि इस बार राज्य सरकार ने अपनी कस्टम मिलिंग नीति में ऐसे प्रावधान किए हैं, जिसके माध्यम से मिलरों पर कड़ी नजर भी रखी जाएगी।

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छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के पूरे पांच साल में सेंट्रल पूल के लिए, लिए जाने वाले चावल, बारदाने आदि को लेकर खींचतान की नौबत बनी रहती थी, लेकिन राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ये मसला खत्म हो गया है। अब केंद्र सरकार ने पिछले महीने ही राज्य सरकार को एक पत्र जारी कर 70 लाख मीट्रिक टन चावल लेने पर सहमति दे दी है। बताया गया है कि राज्य सरकार द्वारा सर्मथन मूल्य पर खरीदे गए धान की कस्टम मिलिंग के बाद 14 नवंबर से 30 जून तक चावल जमा किया जाएगा।

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मिलरों पर रहेगी सरकार की नजर

राज्य सरकार ने 2024-25 के लिए जो कस्टम मिलिंग नीति बनाई है, उसमें मिलरों पर पकड़ और निगरानी बनाए रखने के लिए कई प्रबंध किए गए हैं। सरकार ने तय किया है कि कस्टम मिलिंग करने वाले मिलरों को उनकी वार्षिक क्षमता का केवल 75 प्रतिशत धान दिया जाएगा। साथ ही आधुनिक मिलों और गैर व्यापारिक मिलों को मिलिंग के लिए धान देने में प्राथमिकता दी जाएगी। जिन मिलरों ने अनियमित तरीके से स्टॉक को परिवर्तित किया है या जिनके लॉट कई बार नान (नागरिक आपूर्ति निगम) या एफसीआई से रिजेक्ट हुए हैं, ऐसे मिलरों को इस सीजन में कस्टम मिलिंग के लिए प्रतिबंधित किया जा सकता है।

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राइस मिलों का होगा भौतिक सत्यापन

मिलरों पर अंकुश लगाए रखने के लिए कस्टम मिलिंग नीति में यह प्रावधान किया गया है कि राज्य में धान खरीदी का सीजन समाप्त होने के बाद राज्य शासन एवं एफसीआई के अधिकारियों द्वारा रेंडम रूप से संयुक्त भौतिक सत्यापन खरीदी केंद्रों, संग्रहण केंद्रों और राइस मिलों में किया जाएगा। मिलों के भौतिक सत्यापन के लिए एक एसओपी भी तैयार की जाएगी, जिसमें चेकलिस्ट और वीडियोग्राफी को भी शामिल किया जाएगा। मिलरों द्वारा पिछले अनुबंध की मिलिंग पूरी करने एवं संपूर्ण चावल जमा करने के बाद ही कलेक्टर द्वारा नई मिलिंग के लिए अनुमति दी जाएगी। नई अनुमति दिए जाने के बाद मिलर को नया अनुबंध जिला विपणन अधिकारी के साथ करना होगा।

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