छत्तीसगढ़ सरकार ने रायपुर के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) जीआर चंद्राकर के खिलाफ शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत 76 लाख रुपये की हेराफेरी करने के मामले में एफआईआर के निर्देश दिए हैं। इसके लिए रायपुर डीईओ डा. विजय खंडेलवाल को तत्काल एफआईआर करने और इसकी जानकारी शासन को अवगत कराने के निर्देश दिए गए हैं।
तीन बार जांच, पूर्व प्रमुख सचिव की भूमिका रही संदिग्ध
मामले में तीन बार जांच हुई थी और आरोप साबित हो गया था, इसके बाद भी स्कूल शिक्षा के पूर्व प्रमुख सचिव डा. आलोक शुक्ला ने मामले में कार्रवाई नहीं की थी। आरोपी अधिकारी को बचाने के मामले में पूर्व प्रमुख सचिव की भूमिका भी संदेह के दायरे में रही है।
इस तरह चली थी जांच
पहली जांच: पहली जांच तत्कालीन संयुक्त संचालक एसके भारद्धाज ने की थी। उन्होंने पाया था कि जिन लोगों के खाते में आरटीई की रकम भेजी गई थी, उनमें से कुछ स्कूल अस्तित्व में ही नहीं थे और कुछ वर्षों से बंद थे। सृष्टि पब्लिक स्कूल के नाम पर उपेंद्र चंद्राकर को 21 लाख 38 हजार 367 रुपये, सरस्वती शिशु मंदिर बेलदारसिवनी के नाम पर चंद्रिका अनंत के खाते में नौ लाख 80 हजार 578 स्पये रकम जारी हुई थी। इसी तरह ब्रृजेश कुमार पटेल, चंद्रकिशोर देवांगन, नीलेश्वर के नाम पर भी राशि भेजी गई थी।
दूसरी जांच: जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय रायपुर की ओर से जांच करके रिपोर्ट संचालनालय की ओर भेजी गई थी। इसमें स्पष्ट बताया गया था कि किस तरह जानबूझकर राशि दूसरों के खाते में अंतरित कराई गई है। यूको बैंक प्रबंधक की ओर से दी गई जानकारी में यह बात स्पष्ट हो चुकी है।
तीसरी जांच: तीसरी बार समग्र शिक्षा के तत्कालीन संयुक्त संचालक संजीव श्रीवास्तव ने जांच की थी। उन्होंने रिपोर्ट दी थी कि पूर्व डीईओ ने आरटीई का कार्यभार संभाल रहे सेक्शन अधिकारी और बाबू से बगैर कोई नोटशीट के ही भुगतान कराया था। 28 जनवरी, 2021 को डीईओ के खाते में 77 लाख 97 हजार 55 स्पये थे।
मामले में 29 जनवरी को 76 लाख 42 हजार 203 रुपये आठ निजी स्कूलों के नाम पर भेज दिया गया। मामले में डीईओ कार्यालय में इन रुपयों को जारी करने के लिए नोटशीट ही नहीं चलाई गई। इसके अलावा 2019-20 की करीब करोड़ 66 लाख रुपये साल 2020-21 में बांटी गई थी।