जम्मू-कश्मीर के 84% विधायक करोड़पति, पिछली विधानसभा से 9% ज्यादा

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने विधायकों की संपत्ति को लेकर एक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट के अनुसार चुनाव में जीते दर्ज किए 90 में से 84% विधायक यानी 76 विधायकों ने अपनी संपत्ति 1 करोड़ रुपए या इससे ज्यादा घोषित की है।

2014 की पिछली विधानसभा में 75% यानी 65 विधायकों ने अपनी संपत्ति 1 करोड़ से ज्यादा घोषित की थी। पिछली विधानसभा के मुकाबले इस विधानसभा में करोड़पति विधायकों की संख्या 9% ज्यादा है। कांग्रेस अध्यक्ष और सेंट्रल शालतेंग सीट से चुनाव जीते तारिक हमीद कर्रा सबसे अमीर विधायक हैं। उन्होंने अपनी संपत्ति 148 करोड़ रुपए घोषित की है। वहीं, डोडा से चुनाव जीतने वाले AAP विधायक मेहराज मलिक की संपत्ति सबसे कम (20 हजार रुपए) है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के सबसे ज्यादा विधायक करोड़पति, रिपोर्ट के 5 पॉइंट
  • नेशनल कॉन्फ्रेंस के 42 में से 37 विधायक (88%) करोड़पति हैं। पार्टी के विधायकों की औसत नेटवर्थ 8.47 करोड़ रुपए है।
  • भाजपा के 29 में से 25 विधायक (86%) करोड़पति हैं। भाजपा के विधायकों की औसत संपत्ति 14.55 करोड़ रुपए है।
  • कांग्रेस के सभी 6 विधायक करोड़पति हैं। उनकी औसत संपत्ति 30 करोड़ रुपए के करीब है।
  • PDP के विधायकों 3 विधायकों की औसत संपत्ति 4.25 करोड़ रुपए है।
  • CPI (M) और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस से जीते विधायक करोड़पति हैं। 7 निर्दलीय विधायकों की औसत संपत्ति 5 करोड़ रुपए है।
2 विधायकों की संपत्ति 100 करोड़ से ज्यादा

90 में से 14 विधायकों की संपत्ति 1 करोड़ रुपए से कम है। 27 विधायकों की संपत्ति 1 करोड़ रुपए से 5 करोड़ रुपए के बीच है। वहीं, 26 विधायक 5-10 करोड़ के ब्रैकेट में हैं। 21 विधायकों की नेटवर्थ 10 करोड़ रुपए से 100 करोड़ रुपए के बीच है।

जम्मू-कश्मीर के 90 में से सिर्फ 2 विधायकों की संपत्ति 100 करोड़ से ज्यादा है। 148 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक कांग्रेस अध्यक्ष कर्रा के अलावा भाजपा विधायक देवेंदर राणा के पास 126 करोड़ की संपत्ति है। वे दूसरे सबसे अमीर विधायक हैं।

विधायकों की औसत संपत्ति 11.6 करोड़ रुपए

ADR की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जम्मू-कश्मीर के विधायकों की औसत संपत्ति 11.6 करोड़ रुपए है। वहीं, 2014 चुनाव जीतने वाले विधायकों की औसत संपत्ति साढ़े 4 करोड़ रुपए थी। इसका मतलब इस बार के विधायकों की औसत संपत्ति पिछली बार से दोगुनी से ज्यादा है।

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