दिल्ली। राजस्थान के जयपुर में रविवार रात सवाई मान सिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भीषण आग लग गई, जिसमें 8 मरीजों की दर्दनाक मौत हो गई। घटना उस समय हुई जब ट्रॉमा आईसीयू में 11 मरीजों का उपचार चल रहा था।
आग लगते ही मरीज और उनके तीमरादार बेड और गद्दा लेकर भागने लगे, लेकिन कई लोगों की जान बच नहीं सकी। पीड़ितों ने आरोप लगाया कि आग लगने के समय डॉक्टर और कुछ स्टाफ भाग खड़े हुए। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, आग रविवार रात 11 बजकर 10 मिनट पर लगी। शुरुआती जांच में शॉर्ट सर्किट को आग का कारण बताया गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मामले की विस्तृत जांच के लिए स्वतंत्र समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं।
परिजनों का दर्दनाक बयान
हादसे में अपने चचेरे भाई को खोने वाले ओमप्रकाश ने बताया कि जब धुआं फैलने लगा, उन्होंने डॉक्टरों को आगाह किया, लेकिन डॉक्टर और कंपाउंडर पहले ही भाग चुके थे। केवल कुछ ही मरीजों को बाहर निकाला जा सका। उनके अनुसार, उनकी मौसी के बेटे की जान चली गई, जो कुछ दिनों में ठीक होकर छुट्टी मिलने वाला था।
अस्पताल प्रबंधन ने दिया ये बयान
एसएमएस अस्पताल ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी अनुराग धाकड़ ने बताया कि सेंटर की दूसरी मंजिल पर दो आईसीयू हैं: ट्रॉमा आईसीयू और सेमी-आईसीयू। ट्रॉमा आईसीयू में शॉर्ट सर्किट के कारण आग तेजी से फैल गई और जहरीली गैसें उत्पन्न हुईं।
अधिकांश मरीज गंभीर रूप से बेहोश थे। ट्रॉमा सेंटर टीम, नर्सिंग ऑफिसर और वार्ड बॉय ने ट्रॉली पर मरीजों को लादकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया, जिनमें से छह मरीज बहुत गंभीर हालत में थे। यह घटना जयपुर और राजस्थान में अस्पताल सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। जांच पूरी होने के बाद ही आग लगने की सटीक वजह और लापरवाही का अंदाज लगाया जा सकेगा।