देश के 1 लाख स्कूलों में सिर्फ 1 टीचर, 34 लाख बच्चे पढ़ रहे; शिक्षा मंत्रालय का नया डेटा चौंकाने वाला

Only 1 teacher in 100,000 schools across the country, 3.4 million children are studying; new data from the Ministry of Education is shocking.

दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के ताजा आंकड़ों ने देश की शिक्षा व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के यूडाइस (UDISE) डेटा के अनुसार, देशभर में 1,04,125 स्कूल ऐसे हैं जहां केवल एक शिक्षक कार्यरत है, और इन स्कूलों में 33.76 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं। यानी औसतन हर स्कूल में 34 विद्यार्थी एक ही शिक्षक पर निर्भर हैं।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के मुताबिक प्राथमिक स्तर पर 30 और उच्च प्राथमिक पर 35 छात्रों पर कम से कम एक शिक्षक होना जरूरी है, लेकिन कई राज्यों में यह अनुपात काफी असंतुलित है। आंध्र प्रदेश में ऐसे स्कूल सबसे ज्यादा हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में एकल शिक्षक वाले स्कूलों में बच्चों की संख्या सर्वाधिक है।

डेटा से पता चलता है कि यह संख्या धीरे-धीरे घट रही है। 2022 में ऐसे 1.18 लाख और 2023 में 1.10 लाख स्कूल थे। वहीं, चंडीगढ़ और दिल्ली में प्रति स्कूल औसतन 1222 और 808 छात्र हैं, जबकि लद्दाख, मिजोरम और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में यह संख्या 60 से 80 के बीच है।

सकारात्मक पहलू यह है कि देश में पहली बार शिक्षकों की संख्या 1 करोड़ पार कर गई है। इनमें से 51% सरकारी स्कूलों में हैं और महिला शिक्षकों की हिस्सेदारी अब 54% से अधिक हो चुकी है। पिछले एक दशक में महिला शिक्षकों की भर्ती में तेजी आई है।

पीपुल-टीचर रेश्यो (PTR) भी बेहतर हुआ है। अब 21 छात्रों पर एक शिक्षक है, जबकि 10 साल पहले यह अनुपात 31 पर था। ड्रॉपआउट रेट घटा है और रिटेंशन रेट बढ़ा है। हालांकि, झारखंड में अभी भी एक शिक्षक औसतन 47 छात्रों को पढ़ा रहा है, जबकि सिक्किम में यह सिर्फ 7 है।

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