ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी पर सख्ती की मांग, आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

Demand for strictness on online gambling and betting, hearing in Supreme Court today

दिल्ली। दीपावली से पहले जब देशभर में पारंपरिक रूप से शगुन का जुआ खेलने की परंपरा देखी जाती है, उसी समय सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी पर नियंत्रण की याचिका पर आज सुनवाई होगी। यह जनहित याचिका सेंटर फॉर एकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टेमिक चेंज और अधिवक्ता शौर्या तिवारी ने दायर की है।

याचिका में कहा गया है कि फैंटेसी गेम्स और ऑनलाइन बेटिंग ने पारंपरिक शगुन के खेल को लत, आर्थिक नुकसान और साइबर अपराध में बदल दिया है। भारत में करीब 65 करोड़ लोग ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हैं और इनका सालाना कारोबार 1.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

याचिकाकर्ताओं ने लॉ कमीशन की 276वीं रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यदि जुआ नियंत्रित होता, तो महाभारत में युधिष्ठिर अपने परिवार को दांव पर नहीं लगाते। यह उदाहरण बताता है कि अनियंत्रित जुआ समाज के लिए विनाशकारी है। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, “ऑनलाइन मनी गेम्स ड्रग्स से बड़ा खतरा बन चुके हैं।” मंत्रालय ने कहा कि इनके एल्गोरिद्म खिलाड़ियों को हार की ओर धकेलते हैं।

याचिका में आरोप है कि केंद्र का नया कानून राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन करता है, क्योंकि सातवीं अनुसूची के अनुसार जुआ राज्य का विषय है। डीजीजीआई ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों से 81,875 करोड़ की टैक्स चोरी पकड़ी है और 642 ऑफशोर कंपनियां बिना टैक्स दिए देश में जुआ चला रही हैं।

फिल्मी सितारों और क्रिकेटरों द्वारा ऐसे एप्स का प्रचार किए जाने पर भी सवाल उठाए गए हैं। अक्षय कुमार के हवाले से बताया गया कि उनकी बेटी को ऑनलाइन गेम के दौरान यौन उत्पीड़न झेलना पड़ा। याचिका में डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा गया कि ‘ऑनलाइन गेमिंग डिसऑर्डर’ अब मानसिक बीमारी के रूप में मान्यता प्राप्त है। साथ ही, सरकार से स्वदेशी शैक्षणिक खेलों को बढ़ावा देने की मांग की गई है।

Share This News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *