रायपुर। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के दो महीने बाद भी रायपुर नगर निगम ने आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सभी नगर निगम कुत्तों की नसबंदी, वैक्सीनेशन और डीवर्मिंग कराएं और उन्हें उनके मूल स्थान पर छोड़ा जाए। साथ ही, सार्वजनिक स्थलों पर झगड़ों और असुविधा से बचने के लिए कुत्तों को खाना खिलाने के लिए विशेष स्थान तय किए जाएं।
मगर रायपुर नगर निगम इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठा सका है। शहर में लोग अब भी सड़कों, गेटों और पार्किंग स्थलों पर कुत्तों को खाना खिला रहे हैं, जिससे आए दिन झगड़े और दुर्घटनाएं हो रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर फीडिंग को प्रतिबंधित करते हुए विशेष “डॉग फीडिंग जोन” बनाने के निर्देश दिए थे, लेकिन तेलीबांधा, अमलीडीह, कबीर नगर और शंकर नगर जैसे इलाकों में स्थिति जस की तस बनी हुई है।
नगर निगम का दावा है कि प्रतिदिन 18 से 20 कुत्तों की नसबंदी और वैक्सीनेशन किया जा रहा है, लेकिन नागरिकों का कहना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ा है। शहर के बाजारों और कालोनियों में कुत्तों के झुंड बढ़ते जा रहे हैं। कई इलाकों में बच्चों और बुजुर्गों के काटे जाने की घटनाएं भी सामने आई हैं।
पशु कल्याण विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश मानव और पशु, दोनों की सुरक्षा के लिए हैं। निर्धारित स्थानों पर भोजन देने से झगड़े और आक्रामकता दोनों कम होंगे। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि प्रत्येक वार्ड में दो से तीन “फीडिंग जोन” बनाए जाएं और स्थानीय नागरिक समितियों को इनके रखरखाव में शामिल किया जाए।

