रायपुर। छत्तीसगढ़ में आवारा कुत्तों और मवेशियों की समस्या तेजी से बढ़ रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद नगरीय प्रशासन विभाग सक्रिय हुआ है, लेकिन राज्य के 192 नगर निकायों में सिर्फ 10 डॉग शेल्टर सेंटर ही बनाए गए हैं।
इनमें रायपुर, धमतरी, दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर, रतनपुर और किरंदुल शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2024–25 में 1,19,928 लोग कुत्तों के काटने के शिकार हुए, जिनमें तीन की मौत भी हुई। विशेषज्ञ इसे सड़कों पर बढ़ते आवारा कुत्तों की संख्या से जोड़ते हैं।
इन डॉग शेल्टर सेंटरों का उद्देश्य कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और देखभाल को व्यवस्थित करना है। रायपुर नगर निगम ने अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025 तक 5050 कुत्तों की नसबंदी कराई है। वहीं शहर में 70 फीडिंग पाइंट बनाए गए हैं, जहां तय नियमों के तहत कुत्तों को भोजन कराया जा सकेगा। निगम के अनुसार, प्रत्येक वार्ड में एक फीडिंग पाइंट चिन्हांकित किया गया है ताकि व्यवस्था पारदर्शी रहे।
राष्ट्रीय पशुधन गणना 2022 के अनुसार, प्रदेश में लगभग 3.94 लाख कुत्ते हैं। सड़क हादसों में भी इनका बड़ा योगदान है — बीते पांच वर्षों में मवेशियों से जुड़ी दुर्घटनाओं में 404 लोगों की मौत और 129 घायल हुए। अकेले रायपुर में तीन साल में 51,730 लोग डॉग बाइट के शिकार हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद सरकार ने प्रयास शुरू किए हैं, लेकिन सीमित संसाधन और कम शेल्टर सेंटर अब भी बड़ी चुनौती बने हुए हैं।

