दिल्ली। दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण ने फिर से गंभीर रूप ले लिया है। सोमवार सुबह राजधानी के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली का औसत एक्यूआई 345 दर्ज किया गया, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है। जहांगीरपुरी में सबसे अधिक 389 एक्यूआई रिकॉर्ड किया गया, जबकि आनंद विहार में 379, आईटीओ में 376, अशोक विहार में 367 और अलीपुर में 360 दर्ज हुआ। नोएडा सेक्टर-62 का एक्यूआई 342, गुरुग्राम सेक्टर-51 का 327 और गाजियाबाद के वसुंधरा क्षेत्र का 256 रहा।
जहरीली धुंध और स्मॉग ने दिल्ली को एक बार फिर “रेड जोन” में ला खड़ा किया है। रविवार को दिल्ली देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा, जबकि हरियाणा का बहादुरगढ़ पहले स्थान पर रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति सांस और हृदय संबंधी बीमारियों को और बढ़ा सकती है। अस्पतालों में सांस की तकलीफ, खांसी और आंखों में जलन की शिकायतों में वृद्धि दर्ज की जा रही है।
प्रदूषण का कारण क्या है?
वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान के लिए निर्णय सहायता प्रणाली (DSS) के अनुसार, दिल्ली के कुल प्रदूषण में लगभग 30 प्रतिशत योगदान पराली जलाने का है। इसके अलावा 15 प्रतिशत प्रदूषण परिवहन क्षेत्र से, जबकि औद्योगिक इकाइयों, निर्माण कार्यों और धूल के कारण वायु गुणवत्ता और बिगड़ रही है। हवा की गति कम होने और तापमान गिरने से प्रदूषक तत्व वातावरण में फंस जा रहे हैं।
सरकार ने निर्माण कार्यों पर रोक और ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत कई पाबंदियां लागू की हैं। बावजूद इसके, हवा की जहरीली स्थिति से राहत फिलहाल नजर नहीं आ रही है।

