बेंगलुरू। बेंगलुरू में रविवार को आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने संघ की 100 साल की यात्रा पर विचार साझा किए।
उन्होंने कहा कि संघ किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल का नहीं, बल्कि नीतियों का समर्थन करता है। भागवत ने स्पष्ट किया कि आरएसएस समाज को एकजुट करने का कार्य करता है, जबकि राजनीति समाज को विभाजित करती है। इसलिए संघ किसी चुनाव में प्रत्यक्ष भाग नहीं लेता।
मोहन भागवत ने कहा, “हमने अयोध्या में राम मंदिर का समर्थन किया, क्योंकि वह हमारी सांस्कृतिक नीति से जुड़ा था। अगर कांग्रेस ने यह कार्य किया होता, तो हम उनका भी समर्थन करते। हम व्यक्ति या दल नहीं, नीतियों के पक्षधर हैं।”
कार्यक्रम में उन्होंने समाज की एकता और समरसता पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि संघ मुसलमानों और ईसाइयों सहित सभी समुदायों का स्वागत करता है, बशर्ते वे खुद को भारत माता के पुत्र और व्यापक हिंदू समाज का हिस्सा मानें। भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ में किसी को जाति या धर्म के आधार पर नहीं बांटा जाता।
उन्होंने बताया कि “मुसलमान शाखा में आते हैं, ईसाई शाखा में आते हैं और हिंदू समाज की अन्य सभी जातियां भी शाखा में शामिल होती हैं। हम यह नहीं पूछते कि वे कौन हैं, क्योंकि सभी भारत माता के पुत्र हैं।”
भागवत के इस बयान को संघ की विचारधारा और संगठनात्मक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण संदेश माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि आरएसएस का लक्ष्य राजनीति नहीं, बल्कि राष्ट्र की एकता, संस्कृति और आत्मसम्मान की रक्षा है।

