दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह उस याचिका पर 21 जनवरी को सुनवाई करेगा जिसमें मृत्युदंड के मौजूदा तरीके—फांसी देकर मौत देने—को बदलने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि दोषियों को फांसी के बजाय नसों में जानलेवा इंजेक्शन, गोली मारना, बिजली का झटका देना या गैस चैंबर जैसे कम दर्दनाक तरीकों से दंड दिया जाना चाहिए।
यह मामला जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच के समक्ष आया। वरिष्ठ वकील ऋषि मल्होत्रा ने 2017 में यह याचिका दायर की थी। उनका तर्क है कि फांसी एक अमानवीय और अत्यधिक पीड़ादायक तरीका है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए “जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता” के अधिकार का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि आधुनिक समय में ऐसे कई तरीके मौजूद हैं जो दोषियों को कम दर्द के साथ मृत्युदंड दे सकते हैं।
सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कोर्ट से अनुरोध किया कि इस मामले की सुनवाई जनवरी 2026 में की जाए, लेकिन वकील मल्होत्रा ने कहा कि यह मामला वर्षों से लंबित है और “फांसी की तरह ही लटक गया है।” इस पर पीठ ने कहा कि 21 जनवरी 2025 को मामले पर सुनवाई होगी।
अटार्नी जनरल ने बताया कि केंद्र सरकार इस विषय पर पहले ही विचार कर चुकी है और एक समिति गठित करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। हालांकि, उन्होंने कहा कि अभी तक इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। अदालत ने सरकार से पूरी रिपोर्ट पेश करने को कहा है ताकि यह तय किया जा सके कि मृत्युदंड की प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है या नहीं।

