इटानगर। भारतीय सेना की गजराज कोर ने अरुणाचल प्रदेश के कामेंग हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में 16,000 फीट की ऊंचाई पर स्वदेशी मोनो रेल प्रणाली का सफल संचालन शुरू कर एक बड़ी तकनीकी उपलब्धि हासिल की है। यह प्रणाली उन अग्रिम चौकियों तक रसद पहुंचाने में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है, जहां तक पहुंचना मौसम और स्थलाकृति के कारण बेहद चुनौतीपूर्ण होता है।
रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने बताया कि इस अत्याधुनिक मोनो रेल का डिज़ाइन, इंजीनियरिंग और तैनाती पूरी तरह स्वदेशी है। इसका उद्देश्य कठोर मौसम, भारी बर्फबारी और दुर्गम भूभाग के कारण अक्सर कटी रहने वाली चौकियों तक निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि कामेंग हिमालय के चुनौतीपूर्ण इलाके में साल भर सैन्य अभियानों को समर्थन देने के लिए यह प्रणाली एक महत्वपूर्ण समाधान साबित होगी।
मोनो रेल एक बार में 300 किलो से अधिक भार उठाने में सक्षम है, जिससे गोला-बारूद, राशन, ईंधन, इंजीनियरिंग उपकरण और अन्य आवश्यक सामग्री लगातार पहुंचाई जा सकेगी। यह उन चौकियों के लिए जीवनरेखा है जहां सड़कें नहीं हैं और पारंपरिक परिवहन साधन अक्सर विफल हो जाते हैं।
लेफ्टिनेंट कर्नल रावत ने बताया कि यह प्रणाली दिन-रात, हर मौसम में संचालन करने में सक्षम है। ओलावृष्टि, तूफान या खराब मौसम में भी यह बिना रुके कार्य करती है, जिससे अग्रिम मोर्चों पर तैनात सैनिकों को सतत रसद सहायता मिलती रहती है।
इसके अलावा मोनो रेल ने घायल सैनिकों की निकासी में भी अपनी क्षमता सिद्ध की है। उन क्षेत्रों में जहां हेलीकॉप्टर से निकासी संभव नहीं होती या पैदल निकासी अत्यंत धीमी और जोखिमभरी होती है, यह प्रणाली एक सुरक्षित और भरोसेमंद विकल्प बनकर उभरी है।
भारतीय सेना की यह पहल कठिन हिमालयी क्षेत्रों में ऑपरेशनल क्षमता बढ़ाने और स्वदेशी तकनीक को आगे ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

