बिलासपुर। चर्चित दशरथ खंडेलवाल हत्याकांड में एक बार फिर पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। हाईकोर्ट ने मामले के आरोपी विजय चौधरी की गिरफ्तारी को अवैध ठहराते हुए राज्य सरकार को उसे 10 हजार रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है।
डिवीजन बेंच चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु ने कहा कि जब अदालत ने आरोपी को एक महीने के भीतर ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने की अनुमति दी थी, तब पुलिस को एकतरफा कार्रवाई का अधिकार नहीं था।
हाईकोर्ट ने बताया कि 8 अक्टूबर 2025 को दिए गए आदेश में आरोपी को 8 नवंबर तक आत्मसमर्पण करने की छूट थी। इसके बावजूद सिविल लाइन थाना प्रभारी ने 29 अक्टूबर को ही विजय को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि यह गिरफ्तारी अदालत के आदेश का उल्लंघन है और उसके मौलिक अधिकारों का हनन करती है।
नोटिस जारी होने पर बिलासपुर एसएसपी ने शपथपत्र में गिरफ्तारी को उचित ठहराने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट ने कहा कि किसी संभावित अपराध की आशंका के आधार पर भी न्यायालय के आदेश को दरकिनार नहीं किया जा सकता। पुलिस को पहले कोर्ट से अनुमति लेनी चाहिए थी। पुलिस द्वारा बिना शर्त मांगी गई माफी को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया, लेकिन गिरफ्तारी को अवैध माना।
क्या है पूरा मामला
22 नवंबर 2013 को 85 वर्षीय दशरथ लाल खंडेलवाल और उनकी पत्नी विमला देवी पर नकाबपोश हमलावरों ने घर में घुसकर चाकू से हमला किया था। इलाज के दौरान दशरथ की मौत हो गई थी।
पुलिस ने 2014 में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया, लेकिन कमजोर जांच और साक्ष्यों की कमी के कारण वे ट्रायल कोर्ट से बरी हो गए। बाद में हाईकोर्ट ने अपील पर सुनवाई करते हुए दोषमुक्ति को रद्द कर दोनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और सरेंडर के लिए एक माह का समय दिया था।

