दिल्ली। सहारा समूह की कंपनियों में काम करने वाले हजारों कर्मचारियों की सबसे बड़ी चिंता—“हमारा वेतन कौन देगा?”—का जवाब आज मिल सकता है। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उन कर्मचारियों की अंतरिम याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जो कई महीनों से वेतन भुगतान न होने के कारण न्यायालय की शरण में पहुंचे हैं।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अगुवाई वाली पीठ आज इस मसले पर सुनवाई करेगी। मामला सिर्फ वेतन का नहीं है, बल्कि सहारा समूह की आर्थिक स्थिति, उसकी परिसंपत्तियों की बिक्री और निवेशकों के दावों से भी जुड़ा है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 14 अक्टूबर को सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड (SICCL) की उस याचिका पर केंद्र सरकार, सेबी और अन्य पक्षकारों से जवाब मांगा था, जिसमें कंपनी ने अपनी 88 प्रमुख संपत्तियों को अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को बेचने की अनुमति मांगी है। सहारा का कहना है कि संपत्ति बिक्री से मिलने वाली रकम से वह वेतन और अन्य देनदारियों का भुगतान कर सकेगी।
आज की सुनवाई इसलिए अहम है क्योंकि SICCL की मुख्य याचिका पहले ही 17 नवंबर के लिए सूचीबद्ध है। लेकिन कर्मचारियों ने अदालत से गुहार लगाई कि उन्हें कई महीनों से वेतन नहीं मिला, इसलिए उनकी याचिकाएं भी तुरंत सुनी जाएं। शुक्रवार को वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश से विशेष रूप से इस मुद्दे को सोमवार की सूची में शामिल करने का आग्रह किया था।
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सहारा समूह के धन वापसी विवाद से जुड़े मामलों में SICCL के अंतरिम आवेदन पर सुनवाई की थी। अदालत ने वित्त मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय को भी इस मामले में पक्षकार बनाने का आदेश दिया है। साथ ही न्यायमित्र वरिष्ठ वकील शेखर नफड़े को आदेश दिया गया है कि वे उन सभी 88 संपत्तियों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें जिन्हें सहारा अदाणी समूह को बेचना चाहती है। अब पूरा देश देख रहा है कि सुप्रीम कोर्ट आज क्या रुख अपनाता है—क्या कर्मचारियों को राहत मिलेगी, या मामला अभी और लंबा खिंचेगा?

