रायपुर। हिंदी साहित्य के दिग्गज और अद्भुत संवेदनाओं के रचनाकार विनोद कुमार शुक्ल को उनके रायपुर स्थित निवास पर देश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। साहित्य के इस प्रतिष्ठित सम्मान को देने के लिए ज्ञानपीठ की टीम स्वयं रायपुर पहुंची और सादे समारोह में उन्हें पुरस्कार एवं सम्मान राशि का चेक सौंपा।
ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आर.एन. तिवारी और वरिष्ठ लेखा अधिकारी धर्मपाल कंवर ने पूरे सम्मान के साथ यह पुरस्कार उनके घर पर ही प्रदान किया। तिवारी ने बताया कि विनोद कुमार शुक्ल का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, इसी कारण परिवार ने निवास पर ही सादगीपूर्ण कार्यक्रम की इच्छा जताई थी। उन्होंने कहा कि यह ज्ञानपीठ पुरस्कार के इतिहास का सबसे छोटा और सबसे शांतिपूर्ण सम्मान समारोह है, जहां भव्य मंच की जगह साहित्य के प्रति सम्मान की सहजता और आत्मीयता प्रमुख रही।
प्रदेश सरकार की ओर से समारोह को भव्य बनाने का प्रस्ताव भी आया था, लेकिन लेखक की स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए परिवार और ज्ञानपीठ ने सरल और शांत समारोह को प्राथमिकता दी। राज्यभर में साहित्यप्रेमियों ने इस सम्मान को छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण बताया।
सम्मान प्राप्त करते हुए विनोद कुमार शुक्ल ने अपने प्रशंसकों और पाठकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “जब हिंदी सहित कई भाषाओं पर संकट की चर्चा होती है, तब मुझे विश्वास है कि नई पीढ़ी हर भाषा और हर विचार का सम्मान करेगी। किसी भाषा या अच्छे विचार का नष्ट होना, मनुष्यता का नष्ट होना है।” उनकी यह टिप्पणी भाषा, साहित्य और मानवीय मूल्यों के प्रति उनके गहरे विश्वास को दर्शाती है।

