दिल्ली। बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का कार्य चल रहा है। इसी बीच पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। टीएमसी का दावा है कि SIR प्रक्रिया के दौरान 40 बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) की मौत हुई है और इसके लिए चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार जिम्मेदार हैं। पार्टी ने आरोप लगाया कि “अमानवीय समय सीमा और भारी दबाव” के चलते कर्मचारियों पर तनाव बढ़ा और उनकी मृत्यु हो गई। टीएमसी ने यहां तक कहा कि चुनाव आयोग के हाथ “खून से रंगे” हैं।
इन आरोपों पर चुनाव आयोग ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए इसे “निराधार, झूठा और राजनीति से प्रेरित” बताया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि SIR का उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना है और यह प्रक्रिया पूरी तरह कानून के अनुसार हो रही है।
टीएमसी नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की साजिश के तहत बंगाली और अल्पसंख्यक मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं, ताकि राजनीतिक लाभ उठाया जा सके। उनका कहना था कि चुनाव आयोग ने बैठक के दौरान उनके सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया।
चुनाव आयोग की ओर से बताया गया कि भारत में मतदाता सूची संविधान और चुनावी कानूनों के अनुसार बनाई जाती है। अनुच्छेद 326 के तहत केवल भारतीय नागरिक ही मतदाता बन सकते हैं। इसलिए सूची से फर्जी, अयोग्य और विदेशी नागरिकों के नाम हटाना आवश्यक है। आयोग ने यह भी कहा कि टीएमसी समेत सभी राजनीतिक दलों को कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए।
सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई गई। इस पर चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी और कोलकाता पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिए हैं कि सभी चुनावी कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान की जाए और किसी भी राजनीतिक दबाव या धमकी को तुरंत रोका जाए।

