दिल्ली। कर्नाटक में प्रस्तावित नफरत भरे भाषण और घृणा अपराधों पर रोक से जुड़े विधेयक को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। हिंदू जनजागृति समिति ने इस विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत से इसे मंजूरी न देने की मांग की है। संगठन का कहना है कि यह विधेयक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
हिंदू जनजागृति समिति और अन्य हिंदू संगठनों के प्रतिनिधियों ने राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में कर्नाटक घृणास्पद भाषण और घृणा अपराध (रोकथाम) विधेयक, 2025 का कड़ा विरोध किया है। ज्ञापन में कहा गया है कि विधेयक के प्रावधान अत्यधिक व्यापक और अस्पष्ट हैं, जिनका दुरुपयोग कर असहमति की आवाजों को दबाया जा सकता है।
समिति ने दावा किया कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। साथ ही यह धार्मिक स्वतंत्रता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। संगठन का कहना है कि ‘घृणास्पद भाषण’, ‘हेट क्राइम’ और ‘पक्षपात-प्रेरित हित’ जैसी परिभाषाएं स्पष्ट नहीं हैं और इन्हें मनमाने ढंग से लागू किया जा सकता है।
रविवार को जारी बयान में समिति ने आशंका जताई कि बिना किसी हिंसक मंशा या आसन्न खतरे के भी किसी बयान को अपराध की श्रेणी में लाया जा सकता है। इससे चयनात्मक कार्रवाई और सत्ता के दुरुपयोग का रास्ता खुल सकता है।
धार्मिक आचरण को लेकर भी संगठन ने चिंता जताई है। समिति के अनुसार, विधेयक में आरोपी पर यह भार डाल दिया गया है कि वह साबित करे कि उसका कृत्य ‘जनहित’ या ‘सद्भावनापूर्ण धार्मिक उद्देश्य’ से प्रेरित था, जो स्थापित आपराधिक न्याय सिद्धांतों के विपरीत है। संगठन ने राज्यपाल से अपील की है कि वे इस विधेयक को मंजूरी न दें और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करें।

