नालों के पानी से खारुन को बचाने 4 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए, लेकिन नहीं रुकी गंदगी, नाले का गंदा पानी समा रहा नदी में

नालों के गंदे पानी को नदी में गिरने से बचाने नगर निगम खारुन के किनारे 206 एमएलडी क्षमता के चार सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट चला रहा है। अमृत मिशन योजना और निगम के फंड से इन पर 240 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसके बावजूद भाठागांव इंटकवेल और रायपुरा श्मशान घाट के बीच नाले का लाखों लीटर गंदा पानी अभी भी खारुन नदी में समा रहा है।

बारिश होने पर चिंगरी नाले का जलस्तर काफी बढ़ जाता है। भाठागांव, रायपुरा और आसपास के इलाके का पूरा पानी इसी नाले से होकर नदी में पहुंच रहा है। इसलिए घरों में मटमैला पानी पहुंचने की शिकायत बढ़ रही है। दरअसल निगम को फिल्टर प्लांट में पानी साफ करने के लिए ज्यादा समय लग रहा है। इसमें फिटकरी, क्लोरिन आदि का भी उपयोग ज्यादा हो रहा है जिससे खर्चा भी बढ़ रहा है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए कई निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार ने रायपुर समेत कई शहरों को अमृत मिशन योजना के तहत भारी-भरकम बजट दिया। रायपुर नगर निगम ने इस योजना के तहत खारुन नदी में कारा, निमोरा और चंदनीडीह में तीन जगहों पर 200 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) क्षमता के तीन प्लांट लगाए। निगम ने भी अपने मद से भाठागांव इंटेकवेल के पास 6 एमएलडी का एक प्लांट लगाया है। इस तरह नदी में सीवरेज के पानी को रोकने के लिए चार प्लांट लगाए गए हैं। इसके बावजूद महादेवघाट एनीकट से पहले चिंगरी नाले के पास नदी की दुर्दशा दिखाई दे रही है। यहां पर लाखों लीटर गंदा पानी नदी में सीधे मिल रहा है।

अब कह रहे वियर की ऊंचाई बढ़ाई जाएगी

निगम के अमृत मिशन योजना के प्रभारी अंशुल शर्मा कहना है कि चिंगरी नाला एसटीपी से जुड़ा हुआ है। यहां नाले पर बने वियर की ऊंचाई कम हो गई है। इसकी वजह से बारिश में नाले में बहाव तेज होने पर पानी वियर के ऊपर से नदी में पहुंच रहा है। इसकी ऊंचाई बढ़ाई जाएगी। इसके लिए पीएचई और नगर निगम की ज्वाइंट टीम ने निरीक्षण किया है। ऊंचाई बढ़ने से नाले का पानी नदी में नहीं जाएगा। अफसरों का कहना है कि बारिश में पानी की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में पानी का ओवरफ्लो होकर नदी में जाना स्वभाविक है।

Share This News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *