छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में राजस्व मंडल बिलासपुर से आए आदेश की जांच करने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। कूटरचना से तैयार कर फर्जी आदेश भेजा गया। बिलासपुर मंडल ने संबंधितों पर कार्रवाई करने सरगुजा कलेक्टर को निर्देश दिए। अब 4 लोगों के खिलाफ कोतवाली थाने में FIR दर्ज की गई है।
दरअसल, अंबिकापुर तहसील कार्यालय में जमीनों से संबंधित प्रकरणों को लेकर राजस्व मंडल बिलासपुर के आदेश क्रियान्वयन के लिए लगाए गए थे। 4 आदेशों को लेकर अंबिकापुर तहसीलदार उमेश्वर सिंह बाज को शक हुआ, तो उन्होंने इसकी जानकारी कलेक्टर विलास भोस्कर को दी। कलेक्टर के निर्देश पर राजस्व मंडल के कथित आदेशों की प्रति राजस्व मंडल बिलासपुर भेजी गई।
राजस्व मंडल ने कहा- हमारा आदेश नहीं, दर्ज कराएं FIR
राजस्व मंडल बिलासपुर ने सत्यता की जांच के लिए भेजे गए आदेशों को न्यायालय से जारी होने से इनकार कर दिया। कूटरचना कर बनाए गए ऑर्डर को लेकर FIR दर्ज करने के निर्देश कलेक्टर सरगुजा को दिए गए।
कलेक्टर के निर्देश पर अंबिकापुर तहसीलदार उमेश्वर सिंह बाज ने कोतवाली थाने में राजपुर निवासी अशोक अग्रवाल, सूरजपुर के प्रेमनगर निवासी घनश्याम अग्रवाल, मणिपुर निवासी फारूख और नवागढ़ निवासी जैनुल हसन के खिलाफ केस दर्ज कराई है। आरोपियों के खिलाफ धारा 318(4), 336(3), 338, 340(2) BNS के तहत अपराध दर्ज किया गया है।
लाखों की जमीन को लेकर फर्जी आदेश
जिन मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है, उनमें से अशोक अग्रवाल के खिलाफ सुखमणिया निवासी मणिपुर अंबिकापुर की 0.048 हेक्टेयर भूमि, घनश्याम अग्रवाल के खिलाफ सुखमणिया मणीपुर तहसील अंबिकापुर की रकबा 0.12 एकड़ और 0.048 हेक्टेयर भूमि का मामला राजस्व मंडल न्यायालय में खारिज हो गया था। इसमें अनावेदकों के पक्ष में आदेश तैयार कर तहसील कार्यालय अंबिकापुर में पेश किया गया था।
आवेदक फारूख निवासी मणीपुर अंबिकापुर प्रति अशोक ग्राम मणीपुर तहसील अंबिकापुर के भूमि खसरा क्रमांक 270/1 रकबा 0.07 एकड, ख.क. 270/14 रकबा 0.028 हेक्टेयर का भी फर्जी आदेश तहसील कार्यालय में पेश किया गया था। जैनुल हसन फिरदोसी निवासी नवागढ अंबिकापुर का नवागढ़ खसरा क्रमांक 352/1 रकबा 0.034 हेक्टेयर की भूमि का आदेश भी फर्जी पाया गया है। नायब तहसीलदार के सामने आवेदक बसीरूद्दीन निवासी मानिक प्रकाशपुर का नाम आया है। इसमें भी राजस्व मंडल का आदेश फर्जी पाया गया है।
वास्तविक से अलग मिले आदेश
राजस्व मंडल ने इन प्रकरणों में वास्तविक आदेश की सत्यापित प्रतिलिपि भी भेजी है, जो फर्जी आदेशों से अलग थी। अंबिकापुर तहसीलदार उमेश्वर सिंह बाज ने बताया कि, किसी भी प्रकरण में एक सुनवाई में राजस्व मंडल का आदेश जारी नहीं होता। नीचले राजस्व अदालतों से फाइल भी मंगाई जाती है। इस कारण आवेदन के दिन ही आदेश को देखकर शक हुआ। ऐसे और प्रकरण जिले में सामने आ सकते हैं।