छत्तीसगढ़ की कांकेर पुलिस ने नकली खाद्य बनाकर बेचने अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। नमक को रंगकर पोटाश बनाने वाले चार आरोपियों को राजस्थान के नावा सिटी से गिरफ्तार किया गया है। पूरे मामले में दो आरोपियों की पहले गिरफ्तारी हो चुकी है। जिसके बाद अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।
दरअसल, 2 जुलाई को कांकेर के पखांजूर में 20 चक्का ट्रेलर से आरोपी नकली खाद्य लेकर कांकेर पहुंचे थे। जिसे मार्केट में खपाने की फिराक में थे। खाद्य व्यापारियों को खाद्य पर शक हुआ जिसकी सूचना व्यापारियों ने कृषि विभाग को दिया। कृषि विभाग ने खाद्य का टेस्ट करने लैब भेजा जिसमें खाद्य नकली पाया गया। गिरोह ने मार्केट में नकली पोटाश बेचने की फिराक में थे। गिरोह ने नमक को रंगीन कर प्रिंटेड पोटाश बनाया जाता था। जिसके बाद इसे विभिन्न राज्यों में सप्लाई किया करते थे।
नकली पोटाश बनाते थे
जानकारी के अनुसार, इस गिरोह के श्री जैन केम फूड नावा सिटी के आरोपी मालिक विनोद कुमार जैन, विनय कुमार जैन और उपकार जैन निवासी नावा सिटी, जिला डीडवाना राजस्थान अधिक मुनाफे के लिए अपनी फैक्ट्री में नमक को रंगीन बनाकर नकली पोटाश के रूप में तैयार किया जाता था।
जिसके बाद आरोपी शिवकृष्ण गुर्जर निवासी और ओमप्रकाश भदाना निवासी जयपुर राजस्थान, श्री जैन केम फूड फैक्ट्री में इंडियन पोटास लिमिटेड हाईटैक बायोटैकनोलाजी लिखा हुआ (प्रिंटेड) बारदाना (बोरा) पहुंचाते थे। जिसमें इस नकली पोटाश खाद की पैकेजिंग की जाती थी। आरोपी शिवकृष्ण गुर्जर और ओमप्रकाश भदाना इस नकली खाद की मार्केटिंग करते थे और अपनी पार्टनरशिप फर्म ओपीएस किसान एग्रोकेयर प्रा०लि० के बिल के द्वारा विक्रय कर ट्रांसपोर्टर दौलत सिंह निवासी नावा सिटी राजस्थान की ट्रक में लोड करवाकर विभिन्न राज्यो के विक्रेताओं को भेजते थे।
ट्रांपोर्टर सहित दो आरोपी हो चुके है गिरफ्तार
राजस्थान से ट्रेलर में खाद्य लेकर आने वाले और पखांजूर में खाद्य बेचने वाले दो आरोपी अनिमेश घरामी निवासी पीव्ही 23 लखनपुर और ट्रांसपोर्टर उस्मान खान निवासी राजस्थान की पूर्व में गिरफ्तारी की गई थी, गिरफ्तारी के बाद इस पूरे गिरोह का भंडाफोड़ किया गया। पखांजूर में नकली खाद-बीज एक बड़ी समस्या है। जिससे हर साल किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है। मोटी रकम में खाद-बीज खरीदने वाले किसानों को मिलने वाली खाद नकली है या असली इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। ऐसे में हर साल किसानों को इससे नुकसान उठाना पड़ता है।