छत्तीसगढ़ के लीथियम से देश में होगी ईवी क्रांति, कटघोरा में 250 हेक्टेयर में भंडार

देश में ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) क्रांति की नींव छत्तीसगढ़ के लीथियम से रखी जाएगी। देश में लीथियम का पहला और बड़ा भंडार छत्तीसगढ़ में मिला है। यह भंडार कोरबा जिले के कटघोरा में 250 हेक्टेयर में फैला है। छत्तीसगढ़ के इस ब्लॉक को मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड ने खरीद लिया है।

जीएसआई के प्रारंभिक सर्वे में लगभग 10 पीपीएम से 2 हजार पीपीएम लीथियम कंटेंट की पुष्टि हुई है। इसके अलावा इस ब्लॉक में रेयर अर्थ एलिमेंट की भी उपस्थिति पाई गई है। कंपनी को यह ब्लॉक 76.05% की नीलामी प्रीमियम पर दिया गया है। यानी कटघोरा से उत्पादन होने वाले लीथियम के कुल मूल्य का 76 प्रतिशत पर छत्तीसगढ़ का हक होगा।

बता दें कि क्रिटिकल एंड स्ट्रेटेजिक मिनरल्स की आवश्यकता रिन्यूवेबल एनर्जी, रक्षा, कृषि, फार्मास्युटिकल, उच्च-तकनीकी इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, परिवहन में होती है। इस खनिज के मामलों में वर्तमान में भारत आयात पर निर्भर है। कटघोरा के लीथियम आरईई ब्लॉक के लिए कंपोजिट लाइसेंस दिया गया है। मैकी साउथ कंपनी को प्रास्पेक्टिंग (खनन पूर्व सर्वे) और खनन दोनों का अधिकार होगा। नीलामी के चौथे दौर में लीथियम ब्लॉक को खरीदने में कंपनी सफल हुई है।

पिछले साल शुरू हुई थी नीलामी प्रक्रिया

कोरबा के गांव घुचापुर कटघोरा के आस पास के 250 हेक्टेयर क्षेत्र में लीथियम पाए जाने की पुष्टि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने की थी। इसके बाद केंद्रीय खान मंत्रालय ने 29 नवंबर 2023 को नीलामी प्रक्रिया शुरु कर दी थी। बता दें कि कॉमर्शियल माइनिंग के तहत खदानों को केंद्र सरकार नीलामी के माध्यम से निजी कंपनी को सौंपती है।

2030 तक 30 फीसदी गाड़ियां बैट्री से चलेंगी

लीथियम के आने के बाद से पूरा विश्व ईवी क्रांति की राह पर है। एक अनुमान के मुताबिक 2030 तक लीथियम बैट्री से चलने वाली गाड़ियों की संख्या 30% से ज्यादा हो जाएगी। लीथियम की यह बैट्री मोबाइल फोन, कंप्यूटर, बिजली के उपकरण के साथ ही विंड और सोलर पॉवर से उत्पन्न ऊर्जा के भंडारण में उपयोगी है। लीथियम का उपयोग बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है।

छत्तीसगढ़ में आएगी समृद्धि रोजगार भी मिलेगा

लीथियम खदान शुरू होने पर छत्तीसगढ़ और देश में समृद्धि आएगी। तकनीकी एक्सपर्ट और संसाधनों के विकास के लिए भी लोगों की जरूरत होगी। रोजगार के अवसर पैदा होंगे। प्रदेश में विकास के लिए तय राशि, रॉयल्टी और डीएमएफ के लिए भी इससे सहयोग मिलेगा, जो करोड़ो में होगा। साथ ही सहायक उद्योगों को भी ग्रोथ का मौका मिलेगा।

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