फार्मर आईडी से पहचाने जाएंगे देशभर के किसान, इनमें 1.07 करोड़ छत्तीसगढ़ के

आम नागरिक, पेंशनर, छात्रों के बाद अब किसानों का डेटा भी केंद्र सरकार के पास ऑनलाइन मौजूद रहेगा। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इसके लिए बड़ी योजना बनाई है। 3 भागों वाली इस योजना के पहले चरण में देशभर के किसानों को फार्मर-आईडी दी जाएगी। आईडी हासिल करने के लिए उन्हें अलग-अलग माध्यमों से पंजीयन कराना होगा। खास यह है कि केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं की लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा, जिनके पास फार्मर-आईडी होगा। यह आईडी आधार नंबर से लिंक ​होगा।

इसके साथ ही हर कृषि भूमि का भी पहचान पत्र यानी फार्म लैंड आईडी भी बनाई जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार केंद्र को हर कृषि भूमि की डिटेल भेजेगी। वहां से आईडी राज्यों को दी जाएगी। इससे पूरे देश के कृषि भूमि की पहचान एक सेकेंड में हो सकेगी। इसकी शुरुआत छत्तीसगढ़ से की जा रही है। छत्तीसगढ़ के 19,170 गांवों का डेटा केंद्र को भेजा गया था। केंद्र ने दो करोड़ फॉर्म लैंड आईडी जनरेट कर राज्य को भेज दिया है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अपर सचिव डॉ. प्रमोद कुमार मेहरदा ने 28 नवंबर को देश के सभी मंत्री-सचिवों को पत्र लिखकर फार्मर आईडी की प्रक्रिया बताई है।  

फार्मर आईडी के लाभ

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी केंद्र की 6 योजनाओं के लिए अलग-अलग चक्कर नहीं लगाना होगा। कृषि ऋण योजना, मुख्यमंत्री किसान सहायता योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, कृषि मशीनीरीकरण योजना जैसे राज्य सरकार की योजनाओं के लिए अब सिर्फ एक फार्मर आईडी कार्ड ही देना होगा।

ऐसे बनेगी आईडी, ‌‌‌15 रुपए फीस और ये दस्तावेज देने होंगे

  • किसान आईडी मोबाइल एप से।
  • कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से भी बन सकेगी।
  • पटवारी द्वारा राजस्व की बेवसाइट से।
  • वेबसाइट mkisan.gov.in से।
  • ई-केवाईसी के लिए किसानों को 15 रुपए की फीस जमा करनी होगी। फॉर्म सबमिट होने के बाद पटवारी उसका वेरीफिकेशन करेंगे। उनके सत्यापन के बाद 24 घंटे में फार्मर आइडी किसान के मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से आ जाएगी।
ये दस्तावेज चाहिए
  • कृषि भूमि स्वामी का बी-1, खसरा या ऋण पुस्तिका
  • आधार कार्ड
  • मोबाइल नंबर। 
पुराने रिकॉर्ड काे क्रॉस चेक करने के बाद ही बनाई जाएगी फार्मर आईडी

फार्मर आईडी को पुराने रिकॉर्ड से क्रॉस चेक करने के बाद ही बनाया जाएगा। आयुष्मान स्वास्थ्य कार्ड, पीएम सम्मान निधि जैसी जगहों पर दिए गए पुराने रिकॉर्ड से सरकार किसानों के आवेदन को पहले मैच करेगी। अगर वह मैच नहीं होंगे तो उन्हें एक बार फिर मौका दिया जाएगा।

अगर किसी किसान की मौत हो जाती है तो उसके वारिस का नाम इस पर दर्ज करने की सुविधा भी हाेगी। फार्मर आईडी में व्यक्ति के नाम वही जमीन दर्ज की जाएगी, जो राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में होगी। इसके बाद अगर वह जमीन को बेचता है तो वह बदलाव यहां भी होगा।

जिले से लेकर गांव तक बनेंगी समितियां
  • जिला डिजिटल कृषि सेल: अध्यक्ष कलेक्टर होंगे। तीन सदस्य होंगे। इनका काम डेटा इकट्ठा करना और किसानों को जोड़ना होगा।
  • ब्लॉक स्तरीय कार्यान्वयन टीम: इसके अध्यक्ष बीडीओ होंगे। कृषि विस्तार अधिकारी व स्थानीय तकनीकी अमला इसके सदस्य होंगे। इनका काम मैदानी स्तर पर योजना का क्रियान्वयन होगा।
  • ग्राम स्तरीय किसान सलाहकार समूह: स्थानीय जनप्रतिनिधि के साथ प्रगतिशील कृ​षक वर उत्पादक संगठन के सदस्य शामिल होंगे।
Share This News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *