छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अब पुराने भवन और मकानों को तोड़ने से निकलने वाले कंक्रीट, रेत, ईंट और गिट्टी के मलबे को अब इधर-उधर फेंकने के बजाए नगर निगम को दे सकते हैं। निगम उस मलबे को जरवाय के सीएंडडी (कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलेशन) वेस्ट प्लांट ले जाएगा। यहां उस मलबे का प्रोसीजर कर पेवर ब्लॉक इत्यादि बनाया जाएगा
निगम का सीएंडडी वेस्ट प्लांट शुरू हो गया है। कोई भी आम शहरी अपने इलाके के जोन दफ्तर में मलबे की सूचना दे सकते हैं। निगम के कर्मचारी मलबा खुद वहां लेकर जाएंगे। शहर में पुराने मकानों के टूटने से निकलने वाला मलबा निगम के लिए मुसीबत बना हुआ है। आमतौर पर लोग नया घर बनाने के लिए पुराने कंस्ट्रक्शन को तोड़फोड़ उसका मलबा आस-पास या कहीं भी खाली प्लॉट देखकर फेंक देते हैं। इससे कई जगहों पर अघोषित मुक्कड़ तैयार हो जाता है।
निगम के प्लांट में तोड़फोड़ से निकले कंक्रीट, रेत, ईंट और गिट्टी को मशीन से अलग-अलग किया जाता है। फिर मशीन से ही क्रश करने के बाद उसका उपयोग पेवर ब्लॉक तैयार करने के लिए किया जा रहा है। निगम अफसरों के अनुसार पेवर ब्लॉक बनाने के लिए 20 प्रतिशत सीएंडडी वेस्ट से निकला मटेरियल और 80 प्रतिशत फ्रेश मटेरियल लिया जाता है। यानी पेवर ब्लॉक पूरी तरह से पुराने मटेरियल से नहीं बनाया जा रहा है।
आम शहरी को मिलेगी राहत
आवेदन देने पर मलबा लेने पहुंचेगी टीम निगम के प्लांट में तोड़फोड़ से निकले कंक्रीट, रेत, ईंट और गिट्टी को मशीन से अलग-अलग किया जाता है। फिर मशीन से ही क्रश करने के बाद उसका उपयोग पेवर ब्लॉक तैयार करने के लिए किया जा रहा है। निगम अफसरों के अनुसार पेवर ब्लॉक बनाने के लिए 20 प्रतिशत सीएंडडी वेस्ट से निकला मटेरियल और 80 प्रतिशत फ्रेश मटेरियल लिया जाता है। यानी पेवर ब्लॉक पूरी तरह से पुराने मटेरियल से नहीं बनाया जा रहा है। निगम के अफसरों के अनुसार किसी भी शहरी को सीएंडडी वेस्ट देने के लिए अपने जोन दफ्तर में आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ प्रति ट्रिप परिवहन का एक न्यूनतम शुल्क यानी ले जाने का शुल्क नगर निगम लेगा। शुल्क जमा करने के बाद बताई जगह पर निगम का अमला गाड़ी लेकर पहुंचेगा। कंक्रीट उठाकर उसे जरवाय प्लांट में छोड़ा जाएगा।