रायपुर। छत्तीसगढ़ में गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से शुरू किए गए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए अंग्रेजी माध्यम से शिक्षित और अनुभवी शिक्षकों की संविदा पर नियुक्ति की गई थी, लेकिन अब उन्हें हिंदी में तैयार किया गया सिलेबस पढ़ाना पड़ रहा है।
हाल ही में 11वीं और 12वीं कक्षाओं के लिए शिक्षकों को सिलेबस वितरित किया गया है, लेकिन यह पूरा सिलेबस हिंदी भाषा में है। शिक्षकों का कहना है कि इसमें कई कठिन हिंदी शब्दों का प्रयोग किया गया है, जिन्हें समझना उनके लिए मुश्किल हो रहा है, क्योंकि उन्होंने अपनी पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से की है। इससे शिक्षक पाठ्यक्रम को समझने और उसे प्रभावी ढंग से पढ़ाने को लेकर असमंजस में हैं।

गौरतलब है कि संविदा नियुक्ति के समय प्रमुख शर्त यह थी कि शिक्षक की स्कूली और उच्च शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से होनी चाहिए। ऐसे में जब शिक्षकों को हिंदी में सिलेबस, ब्लूप्रिंट और अन्य शिक्षण सामग्री दी जाती है, तो उनकी योग्यता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता।
राज्यभर में 751 स्वामी आत्मानंद स्कूल संचालित हो रहे हैं, जिनमें करीब 7 हजार शिक्षक संविदा पर नियुक्त हैं। सभी शिक्षक अंग्रेजी माध्यम स्कूलों से आए हैं, लेकिन अब वे हिंदी सिलेबस से जूझ रहे हैं। इससे न केवल शिक्षकों की दक्षता प्रभावित हो रही है, बल्कि छात्रों को भी सुसंगत और प्रभावशाली अंग्रेजी माध्यम शिक्षा मिलने में अड़चन आ रही है। शिक्षकों ने मांग की है कि उन्हें अंग्रेजी में सिलेबस और अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराई जाए, ताकि वे बेहतर तरीके से पढ़ा सकें।