ब्रासीलिया। ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में आयोजित दो दिवसीय BRICS सम्मेलन का रविवार को समापन हुआ। इस सम्मेलन में सदस्य देशों ने वैश्विक मुद्दों पर मिलकर चिंता जताई, जिनमें प्रमुख रहा ईरान में हालिया इजराइली हमला और अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर असर डालती टैरिफ नीतियां। हालांकि इस दौरान अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया गया, लेकिन नीतिगत आलोचना साफ झलक रही थी।
सम्मेलन के संयुक्त घोषणापत्र में कहा गया कि ब्रिक्स देश 13 जून से ईरान पर हो रहे सैन्य हमलों की कड़ी निंदा करते हैं। इन हमलों को अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन करार दिया गया। BRICS नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि नागरिक बुनियादी ढांचे और शांतिपूर्ण परमाणु सुविधाओं पर जानबूझकर हमले गंभीर चिंता का विषय हैं, जो IAEA के प्रस्तावों के खिलाफ हैं।
अस्थिरता को लेकर भी चिंता जाहिर की
इसके साथ ही यूक्रेन, मिडिल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका (MENA) क्षेत्र में जारी संघर्ष और अस्थिरता को लेकर भी चिंता जाहिर की गई। नेताओं ने उम्मीद जताई कि सभी प्रयासों से जल्द कोई स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान निकलेगा। ब्रिक्स नेताओं ने बिना किसी देश का नाम लिए टैरिफ नीति की आलोचना करते हुए कहा कि यह WTO के नियमों के खिलाफ है और वैश्विक व्यापार पर नकारात्मक असर डाल रही है। ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने भी नाटो के सैन्य खर्च को लेकर आलोचना की और कहा कि “युद्ध में निवेश करना सबसे आसान रास्ता है, लेकिन सबसे खतरनाक भी।”
इजराइल को ईरान पर हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया
ईरान की ओर से विदेश मंत्री अब्बास अराघची सम्मेलन में शामिल हुए। उन्होंने अमेरिका और इजराइल को ईरान पर हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया और चेतावनी दी कि इस जंग का असर किसी एक देश तक सीमित नहीं रहेगा। सम्मेलन में इस बार इंडोनेशिया, ईरान, यूएई, इथियोपिया और मिस्र जैसे नए सदस्य शामिल हुए, जबकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के पुतिन व्यक्तिगत रूप से मौजूद नहीं रहे, जिससे ब्रिक्स की एकजुटता पर भी सवाल उठे। विशेषज्ञों के अनुसार, नए सदस्यों की मौजूदगी के बावजूद BRICS अभी भी खुद को एक प्रभावी वैश्विक नेतृत्व के रूप में स्थापित नहीं कर सका है।