गिधवा–परसदा आर्द्रभूमि को प्रवासी पक्षियों के संरक्षण और इको-पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की मांग, केंद्रीय मंत्री तोखन साहू ने सौंपा प्रस्ताव

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रायपुर। केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री और लोकसभा सांसद तोखन साहू ने छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध गिधवा–परसदा आर्द्रभूमि को प्रवासी पक्षियों के संरक्षण और इको-पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने एक विस्तृत परियोजना प्रस्ताव केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को सौंपा है।

यह आर्द्रभूमि क्षेत्र मध्य एशियाई प्रवासी पक्षी मार्ग (Central Asian Flyway – CAF) पर स्थित है और प्रवासी जलपक्षियों के लिए एक प्रमुख विश्राम स्थल है। यहां अब तक 143 से अधिक पक्षी प्रजातियों की पहचान की जा चुकी है। लगभग 200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यह स्थल रायपुर से 15 किमी और नंदघाट से 9 किमी की दूरी पर स्थित है। स्थानीय ग्रामीण पहले से ही जल और पक्षी संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

तोखन साहू ने बताया कि विश्व स्तर पर प्रवासी पक्षियों के लिए नौ प्रमुख मार्ग हैं, जिनमें से तीन भारत से होकर गुजरते हैं। इनमें मध्य एशियाई मार्ग भारत में प्रवासी पक्षियों की लगभग 90% प्रजातियों को सुरक्षित ठिकाना देता है। गिधवा–परसदा इसी मार्ग का एक अहम हिस्सा है, जो पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ को नई पहचान दिला सकता है।

₹220 करोड़ की प्रस्तावित परियोजना में जल प्रबंधन, अनुसंधान केंद्र, इको-पर्यटन सुविधाएं, स्थानीय उद्यमिता और CAF सचिवालय की स्थापना जैसे घटक शामिल हैं। यह योजना न केवल पक्षियों के संरक्षण में मदद करेगी, बल्कि ग्रामीण आजीविका, पर्यावरण शिक्षा और सतत विकास को भी प्रोत्साहित करेगी।

साहू ने कहा कि “गिधवा–परसदा आर्द्रभूमि छत्तीसगढ़ की पर्यावरणीय धरोहर है, जिसे एक वैश्विक इको-पर्यटन मॉडल के रूप में विकसित किया जा सकता है।” उन्होंने भूपेंद्र यादव से इस प्रस्ताव को शीघ्र मंजूरी देने की अपील की।

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