भविष्य के युद्धों से निपटने के लिए सेना की नई ‘रुद्र ब्रिगेड’ का गठन

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दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के अनुभव और सामरिक आधुनिकीकरण की दिशा में तेजी लाते हुए भारतीय सेना ने नई रुद्र ब्रिगेड का गठन कर दिया है।  जिसे आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 26 जुलाई, 2025 को कर्गिल विजय दिवस पर घोषित किया था। यह ब्रिगेड परंपरागत ताकतों को उभरती तकनीक के साथ जोड़ते हुए तीव्र और आत्मनिर्भर निर्णयन क्षमता के लिए तैयार की गई है।

रुद्र ब्रिगेड को एक ‘ऑल-आर्म्स’ गठन के रूप में डिजाइन किया गया है जिसमें इंफैंट्री, मेकेनाइज़्ड इंफैंट्री, आर्मर्ड यूनिट, आर्टिलरी, स्पेशल फोर्सेज और मानवरहित हवाई प्रणालियाँ (UAS) शामिल हैं। साथ ही इसे विशेष लॉजिस्टिक और कॉम्बैट सपोर्ट के साथ स्वावलंबी लड़ाकू इकाई बनाने पर जोर दिया गया है, ताकि सीमांत इलाके और बहु-डोमेन युद्ध परिस्थितियों में तीव्र कार्रवाई संभव हो सके।

रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, रुद्र ब्रिगेड का उद्देश्य निर्णय-ग्रहण और उसकी त्वरित क्रियान्विति को सुगम करना है।  यह आईबीजी (इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप) अवधारणा की तर्ज पर तैनात की जा रही नई चुस्त इकाइयों का विस्तार है। मानवरहित प्रणालियों और कमांडो तत्वों के समावेश से पारंपरिक युद्धक संरचना में गति और सूचनात्मक श्रेष्ठता आयेगी, जो सीमाओं पर निर्णायक संदेश भी देता है।
सेना ने बताया है कि मौजूदा ब्रिगेडों का पुनर्गठन और विशेष तैयारियों के जरिये रुद्र इकाइयों को जरूरत के मुताबिक सीमाओं पर तैनात किया जाएगा। यह कदम ‘डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन’ के तहत समग्र युद्धक्षमता बढ़ाने और भविष्य के लघु-तीव्र संघर्षों के लिए तेजी से प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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