केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर वल्गर कंटेंट की रोकथाम के लिए सख्त कानून बनाने की बात कही। वैष्णव ने कहा- जिन देशों से ऐसे कंटेंट आते हैं, उनकी संस्कृति हमसे काफी अलग है। वैष्णव ने कहा- वल्गर कंटेंट की रोकथाम के लिए पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी को इस विषय पर ध्यान देने और कानून को सख्त करने की जरूरत है।
वैष्णव ये बात बुधवार को संसद सत्र के दूसरे दिन लोकसभा सांसद अरुण गोविल के पूछे गए सवाल के जवाब में कही। गोविल ने सोशल मीडिया पर वल्गर कंटेंट से युवाओं पर पड़ रहे असर और इसकी रोकथाम के लिए सरकार की जिम्मेदारी पर सवाल उठाए थे।
अरुण गोविल ने पूछा- वल्गर कंटेंट को रोकने के लिए मौजूदा तंत्र क्या है
सांसद गोविल ने सदन में पूछा कि वल्गर कंटेंट को रोकने के लिए मौजूदा तंत्र क्या है? और क्या सरकार इन कानूनों को और सख्त करने का प्रस्ताव कर रही है? इसके जवाब में वैष्णव ने कहा- सोशल मीडिया के युग में एडिटोरियल चेक होना समाप्त हो गया है। पहले प्रेस से जो कुछ भी छपता था, उसे चेक किया जाता था कि यह सही है या गलत, और फिर उसे मीडिया में लाया जाता था।
उन्होंने कहा कि एडिटोरियल चेक के खत्म होने के कारण आज सोशल मीडिया एक तरफ फ्रीडम ऑफ प्रेस का बहुत बड़ा माध्यम बन गया है, लेकिन दूसरी तरफ यह एक अनकंट्रोल्ड एक्सप्रेशन हैं, जिसमें कई तरह के वल्गर कंटेंट डाले जाते हैं। वैष्णव ने कहा कि इसके लिए मौजूदा कानून को और सख्त करने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें आम सहमति की भी जरूरत है।
भारत में अश्लील वीडियो पर 3 कानून
- भारत में ऑनलाइन पोर्न देखना गैर-कानूनी नहीं है, लेकिन इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 में पोर्न वीडियो बनाने, पब्लिश करने और सर्कुलेट करने पर बैन है।
- इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के सेक्शन 67 और 67A में इस तरह के अपराध करने वालों को 3 साल की जेल के साथ 5 लाख तक जुर्माना देने का भी प्रावधान है।
- IPC के सेक्शन-292, 293, 500, 506 में भी इससे जुड़े अपराध को रोकने के लिए कानूनी प्रावधान बनाए गए हैं। POCSO कानून के तहत कार्रवाई होती है।