दिल्ली। केंद्र सरकार ने श्रम सुधारों में बड़ा कदम उठाते हुए 29 पुराने श्रम कानूनों को खत्म कर 4 नए लेबर कोड लागू कर दिए हैं। 21 नवंबर से लागू हुए ये नए कानून देश के करीब 40 करोड़ कामगारों को सामाजिक सुरक्षा का दायरा प्रदान करेंगे। सरकार का दावा है कि ये कानून रोजगार में पारदर्शिता बढ़ाने, उद्योगों को सुगमता देने और श्रमिकों को अधिक सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।
नए लेबर कोड के तहत रोजगार की शर्तें ज्यादा स्पष्ट होंगी। अब हर कर्मचारी को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य होगा, साथ ही देशभर में न्यूनतम वेतन लागू होगा। सरकार का लक्ष्य है कि कोई भी श्रमिक इतनी कम आय न पाए कि उसका जीवन यापन प्रभावित हो। समय पर वेतन देने का प्रावधान भी इस कोड का अहम हिस्सा है।
सबसे बड़ा बदलाव ग्रेच्युटी नियमों में किया गया है। अब फिक्स्ड-टर्म कर्मचारी भी स्थायी कर्मियों की तरह केवल एक साल की सेवा के बाद ग्रेच्युटी पाने के हकदार होंगे। वहीं ‘गिग वर्कर्स’, ‘प्लेटफॉर्म वर्कर्स’ और ‘एग्रीगेटर्स’ को पहली बार कानून में शामिल किया गया है। इन कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एग्रीगेटर्स को अपने वार्षिक टर्नओवर का 1-2% योगदान देना होगा।
डिजिटल मीडिया, ऑडियो-विजुअल सेक्टर, बागान मजदूर, स्टंट पर्सन और खदानों व जोखिम वाले क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिक भी नए कोड के दायरे में आए हैं। इनके लिए सुरक्षा मानकों का निर्धारण किया गया है। साथ ही IT, ITeS, वस्त्र उद्योग व निर्यात क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों को हर माह की 7 तारीख तक वेतन देना अनिवार्य होगा।
नए कोड विवाद समाधान को तेज बनाते हैं। दो सदस्यीय औद्योगिक न्यायाधिकरण और सिंगल रजिस्ट्रेशन, सिंगल लाइसेंस प्रणाली उद्योगों के लिए प्रक्रियाओं को आसान बनाएगी। 500 से अधिक कर्मियों वाले प्रतिष्ठानों में सुरक्षा समितियां अनिवार्य होंगी ताकि जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
सरकार का कहना है कि ये सुधार बदलती अर्थव्यवस्था और रोजगार के नए स्वरूप के अनुरूप हैं। नए लेबर कोड उद्योगों और श्रमिकों दोनों को मजबूत बनाते हुए सुरक्षित और कुशल श्रमबल तैयार करेंगे।

