छत्तीसगढ़ में नगरीय निकायों के चुनाव के लिए 15 दिसंबर तक आचार संहिता लागू हो सकती है। 11 दिसंबर को निर्वाचक नामावली का अंतिम प्रकाशन है। इसी के बाद चुनाव आचार संहिता की घोषणा की जा सकती है। रायपुर दक्षिण उपचुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद राज्य सरकार की ओर से तय समय यानी 5 जनवरी तक नगरीय निकाय चुनाव कराने के संकेत हैं। 6 जनवरी से निगमों और पालिकों में नया कार्यकाल शुरू होना है।
रायपुर दक्षिण उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी को कांग्रेसी पार्षदों के वार्डों में भी तगड़ी बढ़त मिली है। इसे सकारात्मक नजरिये से देखा जा रहा है। हालांकि वार्डों का चुनाव विधानसभा चुनाव से बिलकुल अलग होता है। फिर भी सब तरह से अच्छे संकेत मिले हैं। इसलिए अब नगरीय निकाय चुनाव को ज्यादा दिनों तक टालने के आसार नहीं है। राज्य निर्माण के बाद से अब तक यही सिस्टम रहा है कि रायपुर समेत प्रदेशभर में नगर निगमों का कार्यकाल खत्म होने के पहले ही चुनाव होता आया है। 5 जनवरी को मौजूदा मेयर इन काउंसिल का कार्यकाल खत्म हो रहा है।
जनवरी में करनी पड़ेगी मशक्कत
विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने के विकल्प पर जा रही है। इससे उन्हें नगरीय निकाय चुनाव को जनवरी तक टालना पड़ेगा। इसके लिए राज्य सरकार को कैबिनेट बुलाकर एक्ट में संशोधन करना होगा। राज्यपाल से इसकी स्वीकृति के बाद नोटिफिकेशन होगा। कार्यकाल खत्म होने के बाद नए चुनाव होने तक पूरे प्रदेशभर में सरकार को प्रशासक बिठाना पड़ेगा।
आरक्षण से तय होगी मेयर की सीट
नए सिरे से परिसीमन होने के कारण इस चुनाव में महापौर और पार्षदों की सीट नए सिरे से आरक्षित की जाएगी। आरक्षण के लिए राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग का सर्वे करवा लिया है। रायपुर में महापौर के पद का आरक्षण लॉटरी से होगा। पिछली बार यह सीट अनारक्षित थी। परिसीमन होने के कारण रोटेशन सिस्टम लागू नहीं होगा, बल्कि लॉटरी की जाएगी। लॉटरी में रायपुर की सीट अनारक्षित, ओबीसी आरक्षित, ओबीसी महिला आरक्षित या सामान्य महिला के लिए आरक्षित हो सकती है। इसी तरह पार्षदों की सीट का भी आरक्षण होगा।