रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक आयुक्त ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेसी को उपस्थित होने का समन जारी किया है। कांग्रेस नेता विकास तिवारी ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर निजी स्कूल संचालकों से रिश्वत लेने और गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों को संरक्षण देने का गंभीर आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। बार-बार जांच रिपोर्ट की मांग के बावजूद इसे आयुक्त को न भेजे जाने पर लोक आयुक्त ने कड़ी नाराजगी जताई है।
मार्च 2025 में लोक आयुक्त को दी गई लिखित शिकायत में कहा गया था कि शिक्षा विभाग के अधिकारी सिविल सेवा आचरण नियम 1965 का दुरुपयोग कर गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों से मिलीभगत कर रिश्वत ले रहे हैं। लोक आयुक्त ने शिकायत पर संज्ञान लिया और सचिव को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। लेकिन 8 महीने बीत जाने के बावजूद कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई। इसे कोर्ट की अवमानना मानते हुए लोक आयुक्त ने सचिव को तलब किया है।
कांग्रेस नेता विकास तिवारी ने कहा कि सिद्धार्थ कोमल परदेसी गरीब और वंचित बच्चों का निःशुल्क शिक्षा का संवैधानिक अधिकार लूटने वाले प्राइवेट स्कूल माफिया और रिश्वतखोर अधिकारियों के मुख्य संरक्षक बन चुके हैं। उनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ का स्कूल शिक्षा स्तर 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 35वें स्थान पर पहुँच गया है।
विशेष रूप से KPS स्कूल (भिलाई) पर रायपुर में दो दर्जन से अधिक फर्जी CBSE स्कूल चलाने का आरोप लगाया गया। ये स्कूल RTE एक्ट 2009, छत्तीसगढ़ निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा नियम 2010 और मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ स्कूल संहिता 1975 का उल्लंघन कर रहे हैं। इन स्कूलों में 10,000 से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं और गरीब बच्चों को 25% आरक्षित सीट नहीं दी जा रही, साथ ही अभिभावकों से करोड़ों रुपये की अवैध फीस वसूली जा रही है।
विकास तिवारी ने बताया कि बिलासपुर हाईकोर्ट ने पहले भी सचिव के अनुपस्थित रहने पर कड़ी फटकार लगाई थी। लोक आयुक्त के समन के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है और मामले की अगली सुनवाई जल्द होने की संभावना है।

