बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में न्यायाधीश पर की गई सार्वजनिक टिप्पणी एक वकील को भारी पड़ गई। कोर्ट ने इसे गंभीर मामला मानते हुए वकील सैमसन सैमुअल मसीह को अवमानना नोटिस जारी किया है और उन्हें 18 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया है।
मामला श्यामलाल मलिक बनाम ममता दास केस से जुड़ा है, जिसकी सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की एकल पीठ में हुई थी। कोर्ट ने 3 जुलाई को यह याचिका पूर्व के एक आदेश का हवाला देते हुए खारिज कर दी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. निर्मल शुक्ला और सैमसन मसीह ने पैरवी की, जबकि प्रतिवादी की ओर से वरुण वत्स उपस्थित थे।
याचिका खारिज होने के बाद वकील सैमसन मसीह ने खुले कोर्ट में कहा – “मुझे पता था कि इस बेंच से मुझे इंसाफ नहीं मिलेगा।” कोर्ट ने इस टिप्पणी को न्यायालय की अवमानना मानते हुए मामला चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के पास भेजा। चीफ जस्टिस और जस्टिस विभूदत्त गुरु की खंडपीठ ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यह बयान न केवल अनुचित है, बल्कि न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचाता है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वकील का दायित्व न सिर्फ अपने मुवक्किल के प्रति होता है, बल्कि न्यायालय और उसके नियमों के प्रति भी होता है। कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से वकील को नोटिस जारी कर कारण बताने को कहा है कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए। यह मामला 10 जुलाई को प्रशासनिक स्तर पर चीफ जस्टिस के समक्ष लाया गया था, जिसके बाद इसे आधिकारिक रूप से सूचीबद्ध किया गया और कार्रवाई शुरू की गई।