छत्तीसगढ़ आरक्षक भर्ती पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक हटा दी है। इसके बाद दुर्ग संभाग के दुर्ग, बालोद, बेमेतरा जिलों के लिए भर्ती प्रक्रिया रविवार से फिर शुरू होगी। आईजी दुर्ग के निर्देश पर सभी अभ्यर्थियों को फिजिकल और दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया गया है।
पुलिस अधीक्षक दुर्ग जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि, दुर्ग जिले में जिला पुलिस बल आरक्षक भर्ती प्रक्रिया 16 नवंबर से शुरू हुई थी। इधर, दुर्ग रेंज के लिए तीन जिलों दुर्ग, बालोद, बेमेतरा के लिए भर्ती शुरू हुई थी। इसी बीच 27 नवंबर को हाईकोर्ट बिलासपुर ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए फिर से प्रक्रिया को संशोधित प्रावधान के साथ शुरू करने का आदेश दे दिया है। न्यायालय के आदेश के बाद 8 दिसंबर से फिर से भर्ती प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इसके तहत जिन अभ्यर्थियों को शारीरिक माप और दस्तावेज जांच के लिए 8 दिसंबर के लिए प्रवेश पत्र जारी किए गए हैं, वे अपने तय समय और डेट के अनुसार अपना फिजिकल टेस्ट दे पाएंगे।
इन्हें दोबारा जारी होगा प्रवेश पत्र
दुर्ग एसपी ने बताया कि, ऐसे अभ्यर्थी जिनको 27 नंबर से 6 दिसंबर के बीच तिथियों का प्रवेश पत्र जारी किया गया था। वो भर्ती में रोक लगने की वजह से फिजिकल नहीं दे पाए थे। उनको फिर से नया प्रवेश पत्र जारी किया जाएगा। वो लोग नई तिथि और समय पर आकर फिजिकल टेस्ट दे पाएंगे।
बिलासपुर हाईकोर्ट ने 27 नवंबर को पुलिस भर्ती प्रक्रिया में रोक लगा दी थी। जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए लगी रोक को फिर से शुरू करने का आदेश दिया। उनकी अदालत ने संशोधित प्रावधान को संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और 16 (समान अवसर का अधिकार) का उल्लंघन करार दिया। कोर्ट ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में केवल शहीद पुलिसकर्मियों और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवानों के बच्चों को ही छूट मिलनी चाहिए। अन्य सभी अभ्यर्थियों के लिए समान नियम लागू होंगे।
5967 पदों पर भर्ती का जारी हुआ था नोटिफिकेशन
छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग ने 2023-24 को आरक्षक के 5967 पदों के लिए भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया था। भर्ती के लिए लाखों अभ्यर्थियों ने आवेदन किया, लेकिन पुलिसकर्मियों के बच्चों को दी गई विशेष छूट के कारण भर्ती प्रक्रिया को कोर्ट में चुनौती दी गई। भर्ती प्रक्रिया के दौरान डीजीपी ने नियम में संशोधन करते हुए पुलिस विभाग के सभी कर्मियों के बच्चों को विशेष छूट देने का प्रावधान किया था। यह छूट पहले केवल शहीद पुलिसकर्मियों और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवानों के बच्चों तक ही सीमित थी। संशोधन के बाद सभी पुलिसकर्मियों के बच्चों को छूट देने से कई अभ्यर्थियों ने इसे अनुचित और असंवैधानिक बताते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।