खुशियों का कॉरिडोर: रायपुर से विशाखापट्टनम तक विकास की नई राह

खुशियों का कॉरिडोर: रायपुर से विशाखापट्टनम तक विकास की नई राह

रायपुर। रायपुर में 40 हजार करोड़ रुपये की लागत से 23 बड़े प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। इनमें सबसे अहम है 465 किलोमीटर लंबा रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर, जो छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश को जोड़ेगा। इस कॉरिडोर से न केवल व्यापार बढ़ेगा बल्कि क्षेत्रीय विकास को भी गति मिलेगी। भारतमाला परियोजना के तहत एनएचएआई इसे 16,491 करोड़ रुपये की लागत से सिक्स लेन कॉरिडोर के रूप में तैयार कर रहा है।

छत्तीसगढ़ में इस सड़क की लंबाई 125 किलोमीटर है, जिस पर 4,146 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। एनएचएआई ने अब तक निर्माण कार्य का 80% हिस्सा पूरा कर लिया है। फिलहाल रायपुर से विशाखापट्टनम पहुंचने में करीब 12 घंटे लगते हैं, लेकिन प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद यह यात्रा सिर्फ 7 घंटे में पूरी की जा सकेगी। इस प्रोजेक्ट के अप्रैल 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।

कॉरिडोर के निर्माण में तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण कार्य भी शामिल हैं। पहाड़ों और जंगलों के बीच से गुजरने वाली इस सड़क में 2.7 किलोमीटर लंबी टनल बनाई जा रही है। बायीं ओर की टनल पूरी हो चुकी है, जबकि दायीं ओर का काम जारी है। यह मार्ग केशकाल पहाड़ियों के अंदर से होकर दुधावा डैम के पास से गुजरेगा और कांकेर जिले के सलना-पलना होते हुए ओडिशा सीमा में प्रवेश करेगा।

एनएचएआई रीजनल ऑफिसर प्रदीप कुमार लाल के अनुसार, “रायपुर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर का लगभग 80% काम पूरा हो चुका है। अप्रैल 2026 तक इसे पूरी तरह तैयार कर लिया जाएगा।” इस कॉरिडोर के बन जाने से रायपुर से तटीय आंध्र प्रदेश तक का औद्योगिक, पर्यटन और व्यापारिक संबंध और मजबूत होंगे।

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