दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ड्रग्स तस्करों के खिलाफ कड़े रुख ने दाऊद इब्राहिम और उनके गिरोह को झकझोर दिया है। भारत में हुई कार्रवाई ने उनके नेटवर्क को काफी हद तक कमजोर किया है, लेकिन इसे पूरी तरह समाप्त करना अभी संभव नहीं माना जा रहा है।
भारत में विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय ड्रग्स कार्टेल में सबसे बड़ा नाम दाऊद इब्राहिम का सिंडिकेट है। इसके तहत वह अवैध कारोबार के बड़े हिस्से को नियंत्रित करता है। भारत में कार्रवाई बढ़ने के बाद दाऊद अपनी रणनीति बदलने की कोशिश कर रहा है। उसका यह कारोबार सीधे भारत में आतंकवाद को वित्तीय मदद पहुंचाता है। अनुमान है कि कम से कम 80 प्रतिशत आतंकी संगठनों का फंडिंग दाऊद के नेटवर्क से होती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ और सरकार दाऊद का समर्थन कर रही हैं ताकि भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके। नई रणनीति के तहत दाऊद अब दक्षिण अफ्रीका और मैक्सिको के ड्रग्स कार्टेल से जुड़ रहा है। दक्षिण अफ्रीका में उसका दबदबा पहले से है, जबकि मैक्सिको का नेटवर्क उसके लिए नया और महत्वपूर्ण है।
पहली बार मैक्सिको कार्टेल की सक्रियता का संकेत 25 नवंबर को मिला, जब भारतीय तटरक्षक बल ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास मछली पकड़ने वाले जहाज से बड़ी मात्रा में ड्रग्स जब्त की। इसके बाद यह स्पष्ट हुआ कि दाऊद नए कार्टेल के जरिए दक्षिणी बाजारों में तस्करी बढ़ाने की योजना बना रहा है।
दाऊद ने मैक्सिकन ड्रग्स माफिया एल मेन्चो से संपर्क किया है। वह पंजाब, जम्मू-कश्मीर और गुजरात जैसे पारंपरिक मार्गों से ड्रग्स भेजेगा, जबकि मैक्सिकन नेटवर्क दक्षिणी बाजार में वितरण करेगा। आइएसआइ ने हाजी सलीम और सलीम डोला जैसे लोगों के माध्यम से भारत में अंतरराष्ट्रीय गिरोहों को सहयोग देने की रणनीति बनाई है।