कलेक्टोरेट रिकार्ड रूम में 1928 के दस्तावेज, हर पन्ने का करेंगे डिजिटलाइजेशन

कलेक्टोरेट के रिकार्ड रूम में रखे पुराने दस्तावेजों में सबसे ज्यादा बुरा हाल 1928 से 1945 तक के जमीन दस्तावेजों का हो रहा है। 1945 के बाद के रिकार्ड को तो डिजिटल सुरक्षित कर लिया गया है, लेकिन उसके पहले के रिकार्ड अब तक पुरानी स्थिति में है।

लगभग 96 साल पुराने ये दस्तावेज हाथ लगाने से ही फट रहे हैं। ऐसे में इनकी सुरक्षा के लिए अब बड़े स्तर पर डिजिटलाइजेशन करने का निर्णय लिया गया है। यह काम नामी निजी कंपनी को दिया जाएगा। जिससे दस्तावेज कंप्यूटर में सुरक्षित रह सकें। पूरे रिकार्ड को डिजिटल करने के बाद कलेक्टर ऑफिस के ऊपर नया रिकार्ड और सर्वर रूम भी बनाया जाएगा। अफसरों का कहना है कि कलेक्टोरेट परिसर में बन रहे नए रजिस्ट्री भवन में एक फ्लोर पुराने दस्तावेजों के संरक्षण के लिए रहेगा। इसमें मुख्य रिकार्ड और सर्वर रूम को शिफ्ट किया जाएगा।

राजधानी में जमीन महंगी होने की वजह से अक्सर कई तरह के विवाद सामने आते रहते हैं। ऐसे में पुराने दस्तावेजों के रिकार्ड के आधार पर ही फैसले लिए जाते हैं। इसलिए कलेक्टोरेट में सभी मिसल बंदोबस्त और मिसल चकबंदी के दस्तावेजों को संभालकर रखा गया है। इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर जमीन का मालिकाना हक भी साबित होता है।

कलेक्टोरेट के रिकार्ड रूम में रखे दस्तावेजों का कई बार डिजिटलाइजेशन करने की कोशिश की गई, लेकिन अभी तक इसे पूरा नहीं किया जा सका है। रायपुर जिले की प्रभारी सचिव बनने के बाद निहारिका बारिक सिंह ने पहली बार कलेक्टोरेट के अफसरों की बैठक ली। उसमें भी पुराने दस्तावेजों के नष्ट होने की बात अफसरों उठाई।

अफसरों ने उन्हें बताया कि पुराने राजस्व रिकार्ड पूरी तरह से कंप्यूटराइज नहीं हो पाए हैं। इसके बाद ही उन्होंने अफसरों से कहा कि राजस्व अभिलेखों के पुराने रिकार्ड को हर हाल में सुरक्षित करना होगा। क्योंकि राजधानी होने की वजह से यह जमीन विवाद ज्यादा होते हैं। इसके लिए पुराने अभिलेखों को डिजिटलाइजेशन करना होगा। इससे सभी दस्तावेज हमेशा के लिए सुरक्षित होंगे।

इसी महीने जारी होगा नया टेंडर

अफसरों के अनुसार दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन करने के लिए नया टेंडर इसी माह जारी किया जाएगा। इसमें उन्हीं कंपनियों को शामिल किया जाएगा जो इस काम के लिए एक्सपर्ट हैं। अभी दस्तावेजों को बचाने के लिए कई बार केमिकल का छिड़काव किया जाता है। लेकिन अब केमिकल का लगातार उपयोग करने से भी पुराने कागजों को नुकसान हो रहा है। यही वजह है कि अब दस्तावेजों को आने वाले कई वर्षों तक सुरक्षित रखने के लिए उसका डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है। कलेक्टर ने राजस्व अफसरों से कहा है कि इस काम को जल्द से जल्द शुरू करना है। इसलिए इसमें किसी भी तरह की कोई लापरवाही न बरती जाए। प्रभारी सचिव ने एक माह में इसकी डिटेल रिपोर्ट मांगी है।

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