मेरे पेट में जलन होती थी। बिना डॉक्टर को दिखाए ही मेडिकल स्टोर से दवाई खरीदकर खा लेता था। इसके बावजूद दर्द में कोई फर्क नहीं पड़ा। सिलसिला सालों तक चला। नतीजा ये हुआ कि मेरी बॉडी कांपने लगी। धीरे-धीरे बॉडी ने मूवमेंट करना बंद कर दिया। डॉक्टर को दिखाने पर पता चला कि मैं ‘मूवमेंट डिसऑर्डर’ का शिकार हूं।
ये सब इतना डरावना था कि मुझे खुद की गलतियों पर रह-रहकर पछतावा होने लगा। क्यों मैंने बिना डॉक्टर की सलाह लिए ही दवाइयां खाईं। अलवर के विनोद की तरह मूवमेंट डिसऑर्डर और ‘पार्किंसन’ बीमारी से लड़कर बाहर आए लोग इंटरनेशनल मूवमेंट डिसऑर्डर डे (28 नवंबर) को जयपुर में जुटे थे। यहां इन्होंने बताया कैसे इस बीमारी के कारण सिर की नसें फूल गईं। हाथ-पैर कांपने लगते थे। खाना चबाने में परेशानी होने लगी।
बिना डॉक्टर को दिखाए 5 साल तक खाई पेन किलर की दवा
जयपुर निवासी पीड़ित ने बताया- 10 साल पहले साल 2014 में सिर में दर्द हुआ करता था। बिना डॉक्टर को दिखाए ही कॉम्बिफ्लेम की गोली खा लेता था। यह सिलसिला 5 साल तक जारी रहा। इस पर गंभीरता नहीं दिखाई। इसके बावजूद सिर दर्द में कोई फर्क नहीं पड़ा। फिर मैंने डॉक्टर को दिखाया। इसके बाद सिटी स्कैन और एमआरआई भी करवाया।
मूवमेंट डिसऑर्डर बीमारी के चलते मेरे सिर की नसें फूल जाती थीं। धीरे-धीरे मुझे चबाने में भी परेशानी होने लगी थी। इस बीमारी का सिर में धीरे-धीरे असर होने लगा। चेहरा टेढ़ा होने तक की भी तकलीफ दिखने लगी थी। मैने फिर डॉक्टर को दिखाया। उन्होंने सबसे पहले मेरा सिटी स्कैन करवाया। साल भर पहले (2023 दिसम्बर) में इस बीमारी के इलाज के लिए हॉस्पिटल में बुलाया। यहां शुरुआती डेढ़ महीने तक दवा से इलाज चला। फिर मेरी मेडिकल केस स्टडी करने के बाद बोटॉक्स इंजेक्शन लगाने की सलाह दी गई। मुझे इंजेक्शन से आराम हुआ। मौजूदा समय में सुरेंद्र माथुर की स्थिति ठीक है। उन्हें सिर में माइग्रेन और मूवमेंट डिसऑर्डर की शिकायत से राहत है।
क्या है मूवमेंट डिसऑर्डर और पार्किंसन
डॉक्टर्स के अनुसार मूवमेंट डिसऑर्डर और पार्किंसन बीमारियां मिलती-जुलती हैं। मूवमेंट डिसऑर्डर में बॉडी के मूवमेंट्स काबू में नहीं रहते हैं। पार्किंसन एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मूवमेंट स्लो हो जाती है। इसमें हाथ हिलते हैं, कंपन होता है। इन सब चीजों का इलाज है। कुछ दवाइयां दी जाती हैं। इस बीमारी को ट्रीट करने के लिए एक सर्जिकल तकनीक आई है, जो भारत के बड़े पांच से 6 शहरों में होती है। राजस्थान में नारायणा हॉस्पिटल में इस टेक्नीक को लाया गया। इसका नाम है ‘डीप ब्रेन स्टिमुलेशन’ सर्जरी।