राजधानी में पकड़ा गया नकली डॉक्टर, खुद को बता रहा था ‘स्पेशलिस्ट इन डायबिटीज’

Fake doctor arrested in the capital, claiming to be a 'specialist in diabetes'.

भुवनेश्वर। राजधानी में एक नकली डॉक्टर का मामला सामने आया है, जो खुद को “स्पेशलिस्ट इन डायबिटीज” बताकर मरीजों का इलाज कर रहा था। यह व्यक्ति लंबे समय से बिना किसी मान्यता और रजिस्ट्रेशन के मरीजों को दवाएं दे रहा था। यह घटना भुवनेश्वर के उपनगर कॉलिंग विहार क्षेत्र की है, जहां ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

जानकारी के मुताबिक, 53 वर्षीय एक मरीज जून महीने में इस तथाकथित डॉक्टर के पास इलाज के लिए गया था। लेकिन सुधार न होने पर जब वह सरकारी अस्पताल पहुंचा, तो वहां के डॉक्टर को उसकी पुरानी पर्ची देखकर शक हुआ। जांच में पता चला कि प्रिस्क्रिप्शन पर न तो रजिस्ट्रेशन नंबर था और न ही किसी मान्यता प्राप्त डिग्री का उल्लेख। पर्ची पर लिखा था—“सीनियर मेडिसिन स्पेशलिस्ट एंड डायबेटोलॉजिस्ट, स्पेशलिस्ट इन डायबिटीज।”

विशेषज्ञों का कहना है कि मधुमेह रोग का इलाज करने वाले डॉक्टर को मेडिकल भाषा में एंडोक्राइनोलॉजिस्ट कहा जाता है। इस तरह की गलत उपाधि का इस्तेमाल और बिना मेडिकल रजिस्ट्रेशन के इलाज करना गंभीर अपराध है, जो मरीजों की जान के लिए खतरा बन सकता है।

राज्य में नकली डॉक्टरों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाने के लिए क्वैक निरोधी सेल (Quack Control Cell) का गठन किया गया था, जिसमें जिलाधिकारी, एसपी, सीडीएमओ, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और IMA के प्रतिनिधि शामिल हैं। हालांकि खुर्दा जिले में इस सेल की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव डॉ. विजय महापात्र ने कहा कि बिना पंजीकरण कोई भी व्यक्ति एमबीबीएस डॉक्टर बनकर इलाज नहीं कर सकता। नागरिकों से अपील की गई है कि वे किसी डॉक्टर की वैधता जांचने के लिए ओडिशा मेडिकल रजिस्ट्रेशन काउंसिल (OCMR) की वेबसाइट पर जाकर उसका रजिस्ट्रेशन नंबर सत्यापित करें और संदिग्ध मामलों की सूचना तुरंत दें।

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