AI से जनरेट फर्जी फैसले कोर्ट में पेश किए जा रहे, सुप्रीम कोर्ट के जज ने दी चेतावनी

Fake verdicts generated by AI are being presented in court, Supreme Court judge warns

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस राजेश बिंदल ने चिंता जताई है कि कुछ युवा वकील आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स की मदद से फर्जी फैसले खोजकर कोर्ट में पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों जगह यह चलन बढ़ रहा है, जहां वकील AI पर केवल दो-तीन शब्द टाइप करके जो भी फैसला आता है, उसे कोर्ट में पेश कर देते हैं। कई बार ये फैसले या तो गलत होते हैं, अल्पमत में दिए गए होते हैं, या AI द्वारा बनाए गए काल्पनिक निर्णय होते हैं।

जस्टिस बिंदल ऑल इंडिया सीनियर लॉयर्स एसोसिएशन के कार्यक्रम में बोल रहे थे, जहां सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुए चार नए जजों का सम्मान किया गया। उन्होंने कहा कि युवा वकीलों को इस प्रकार की लापरवाही से बचना चाहिए और सीनियर वकीलों को चाहिए कि वे उन्हें सही दिशा दिखाएं। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी फैसले के पीछे युवा वकीलों की रिसर्च और सीनियर वकीलों की दलीलें होती हैं।

इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने 20 जुलाई को कोर्ट स्टाफ को आदेश दिया था कि वे चैट GPT जैसे AI टूल्स का उपयोग आदेश लिखने में न करें, क्योंकि इससे गलतियां हो सकती हैं। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अगर AI का उपयोग करना है तो उचित प्रशिक्षण लिया जाए। यह मुद्दा ऐसे समय में सामने आया है जब AI का उपयोग न्यायिक प्रक्रिया में तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके खतरे भी सामने आ रहे हैं।

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