धमतरी में मखाने की व्यावसायिक खेती शुरू करेंगे किसान

धमतरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “आत्मनिर्भर भारत” और कृषि नवाचार को बढ़ावा देने के विजन के तहत, धमतरी जिले के किसान अब मखाने की व्यावसायिक खेती करेंगे। कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने इस खेती को सफल बनाने के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों ने मखाने की खेती पर एक बैठक की, जिसमें इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, नाबार्ड और नैफेड के विशेषज्ञ भी शामिल हुए। प्रमुख कृषि वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर और स्थानीय किसानों ने इस खेती के लाभ के बारे में जानकारी दी। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि धमतरी की जलवायु और इसके खेत मखाने की खेती के लिए बहुत उपयुक्त हैं। कलेक्टर ने सभी संबंधित विभागों को मिलकर काम करने के निर्देश दिए हैं।

किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण और सरकारी सहायता

कलेक्टर ने कहा कि मखाने की खेती में इच्छुक किसानों को निःशुल्क तकनीकी प्रशिक्षण मिलेगा और उन्हें बीज से लेकर फसल की देखरेख तक विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन किया जाएगा। इसके साथ ही किसानों को सफल मखाना किसानों के खेतों का भ्रमण भी कराया जाएगा। सरकार की ओर से अनुदान और वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी।

स्थानीय प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित होगी

कलेक्टर ने बताया कि मखाने की खेती को लाभकारी बनाने के लिए स्थानीय स्तर पर प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की जाएगी। इससे मखाने की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग को बढ़ावा मिलेगा, जिससे किसानों को सीधे लाभ होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मोरिशस के प्रधानमंत्री को भारत में उत्पादित मखाना भेंट किया था, जिससे इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी बिहार में मखाने की खेती को प्रोत्साहित किया था।

मखाने की खेती से किसानों को आर्थिक लाभ

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, मखाने की खेती धान की तुलना में अधिक लाभकारी है। एक एकड़ मखाने की खेती से ₹1.5 लाख से ₹3 लाख तक की कमाई हो सकती है, जो धान की खेती से दोगुनी है। मखाने की फसल छह महीने में तैयार होती है और एक एकड़ में करीब 10 क्विंटल मखाना उगता है। धमतरी में मखाने की खेती से किसानों को नए अवसर मिलेंगे और छत्तीसगढ़ देश में मखाने के प्रमुख उत्पादक राज्यों में शामिल हो सकता है।

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