बिलासपुर। बिलासपुर नगर निगम ने अवैध कॉलोनी विकास के खिलाफ ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 19.35 एकड़ की प्राइवेट कॉलोनी को पूर्णतः राजसात कर लिया है। यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 की धारा 292-च और 292-छ के तहत की गई है। किसी भी निजी कॉलोनी को इस प्रावधान के अंतर्गत पूरी तरह अधिगृहित किए जाने का यह प्रदेश में पहला मामला है। निगम आयुक्त अमित कुमार ने कॉलोनी का नामांतरण नगर निगम के नाम करने बिलासपुर एसडीएम को पत्र भी भेज दिया है।
यह कॉलोनी रायपुर–बिलासपुर मार्ग पर तिफरा स्थित है, जिसे वर्ष 2003 में जायसवाल बिल्डर्स द्वारा विकसित किया गया था। लेकिन डेवलपर्स के बीच विवाद, अनुमति रद्द होने और लगातार असफल अपीलों के कारण यह मामला वर्षों से लंबित था। क्षेत्र के निगम में शामिल होने के बाद औद्योगिक विकास निगम द्वारा सड़क निर्माण के दौरान मुआवजे को लेकर विवाद गहराया, जिसके बाद जिला प्रशासन और नगर निगम ने विस्तृत जांच शुरू की।
कलेक्टर संजय अग्रवाल द्वारा गठित समिति की जांच में पता चला कि कॉलोनाइज़र ने नियमों का गंभीर उल्लंघन किया है। समिति ने अवैध कॉलोनी निर्माण पर प्राथमिकी दर्ज करने और भूमि के प्रबंधन एवं समपहरण की अनुशंसा की। इसके बाद निगम ने तीन चरणों में आम सूचना जारी कर कुल 63 दावा–आपत्तियों की सुनवाई की और सभी के निराकरण के बाद भूमि को निगम के अधीन करने का आदेश जारी किया।
कॉलोनी में कुल लगभग 130 प्लाट हैं, जिनमें से 50 पहले ही बिक चुके हैं। इन प्लाटों का स्वामित्व यथावत रहेगा। शेष करीब 80 प्लाटों की बिक्री अब निगम करेगा। यह क्षेत्र नेशनल हाईवे से सटा होने के कारण अत्यंत मूल्यवान माना जाता है। नगर निगम की यह कार्रवाई प्रदेश में अवैध कॉलोनी विकास पर सख्त रुख का संकेत देती है।

