फेंगल तूफान: पुडुचेरी में बाढ़ जैसे हालात, चेन्नई में लैंडिंग के दौरान क्रॉस विंड में फंसा प्लेन

बंगाल की खाड़ी से 25 नवंबर को उठा फेंगल तूफान 30 नवंबर, शाम 7:30 बजे पुडुचेरी के कराईकल और तमिलनाडु के महाबलीपुरम के बीच समुद्र तट से टकराया। लैंडफॉल प्रोसेस रात 11.30 बजे तक चला। इस दौरान भारी बारिश के साथ 90 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवा चली। तूफान का असर केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी है।

IMD के मुताबिक 30 नवंबर को लैंडफॉल के बाद फेंगल यहीं अटका हुआ है, लेकिन कुछ घंटों में धीरे-धीरे यह कमजोर हो जाएगा। इसके चलते रविवार को पुडुचेरी, कडलोर, विल्लुपुरम और चेन्नई में भारी बारिश का अनुमान जताया गया है। पुडुचेरी में 24 घंटों के दौरान 48.4 सेमी बारिश हुई। यह 30 साल में एक दिन में सबसे ज्यादा बारिश है।

तूफान के कारण चेन्नई एयरपोर्ट दोपहर 12 बजे बंद कर दिया गया था, जो रात 1 बजे शुरू हो पाया। आधी रात के बाद उड़ानें शुरू हुईं, लेकिन कई फ्लाइट्स कैंसिल की गईं। कुछ देरी से पहुंचीं। तूफान के चलते 24 डोमेस्टिक फ्लाइट्स रद्द कर दी गईं। 26 इंटरनेशनल फ्लाइट्स में देरी हुई। चेन्नई एयरपोर्ट का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें लैंडिंग के दौरान इंडिगो की फ्लाइट क्रॉस विंड में फंसकर लहराने लगी। पायलट प्लेन को वापस उड़ा ले गया। घटना को लेकर इंडिगो ने कहा कि मुंबई-चेन्नई फ्लाइट 6E 683 भारी बारिश और तेज हवाओं में फंस गई थी। उसकी सुरक्षित लैंडिंग नहीं हो पाती, इसलिए पायलट ने सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत विमान को ‘गो-अराउंड’ किया।

सऊदी अरब ने ‘फेंगल’ तूफान नाम दिया

इस तूफान का नाम ‘फेंगल’ सऊदी अरब की तरफ से प्रस्तावित किया गया है। यह एक अरबी शब्द है, जो भाषाई परंपरा और सांस्कृतिक पहचान का मिश्रण है। यह शब्द वर्ल्ड मीटियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP) के नामकरण पैनल में क्षेत्रीय विविधता को दर्शाता है। चक्रवातों के नामों का चयन करते समय यह सुनिश्चित किया जाता है कि नामों का उच्चारण आसान हो, वे याद रखने में सरल हों, और सांस्कृतिक रूप से निष्पक्ष हों। यह ध्यान रखा जाता है कि नाम ऐसे हों जिनसे अलग-अलग क्षेत्रों और भाषाओं के बीच कोई विवाद पैदा न हो या किसी का अपमान न हो।

इस तरह रखे जाते है साइक्लोन के नाम

आम तौर पर, साइक्लोन का नाम क्षेत्रीय स्तर के नियमों के अनुसार रखे जाते हैं। हिंद महासागर के साइक्लोन के नामकरण के लिए 2004 में एक सहमति बनी थी। इसमें 13 देशों ने नामों का एक सेट दिया, जो साइक्लोन आने पर एक के बाद एक दिए जाते हैं।

  • साइक्लोन के नाम चुनते वक्त यह ध्यान रखा जाता है कि वे आसानी से याद रहें, उनका उच्चारण भी आसान हो और वे आपत्तिजनक न हों। इनके नामों को अलग-अलग भाषाओं से भी चुना जाता है ताकि अलग-अलग इलाकों में रहने वाले लोग इनसे परिचित हों।
  • साइक्लोन के नामों की मौजूदा लिस्ट 2020 में तैयार की गई थी, जिसमें प्रत्येक सदस्य राज्य 13 नामों का योगदान देता है। इन नामों का इस्तेमाल रोटेशन में किया जाता है। किसी भी नाम का दोबारा इस्तेमाल नहीं होता है। यानी हिंद महासागर में आया हर साइक्लोन अलग नाम से जाना जाता है।
  • उदाहरण के लिए, ‘फेंगल’ नाम का सुझाव सऊदी अरब ने दिया था। इसके बाद अब जो भी अगला चक्रवात आएगा उसका नाम ‘शक्ति’ रखा जाएगा और इस नाम को श्रीलंका ने सुझाया है।
Share This News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *