छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पहली बार गांजा तस्करों के खिलाफ प्रशासन ने पिट एनडीपीएस की कार्रवाई की है। उन्हें 6 माह के लिए जेल भेज दिया गया है। यह बिलकुल एनएसए यानी रासुका की तरह की कार्रवाई है। लगातार मारपीट और गुंडागर्दी करने वालों के खिलाफ जिस तरह रासुका के तहत कार्रवाई कर करीब एक साल के लिए जेल भेजा जाता है, ठीक उसी तरह बार-बार गांजा तस्करी में पकड़े जाने वालों के खिलाफ नए कानून में पिट एनडीपीएस की कार्रवाई का प्रावधान रखा गया है। राजधानी में पहली बार इस कानून के तहत दो तस्करों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
पुलिस के अनुसार दोनों तस्कर बाबू और बैसाखू को लगभग 6 माह तक जमानत का लाभ नहीं मिलेगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान निर्देश दिया था कि सूखे नशे के खिलाफ सख्ती कदम उठाना चाहिए। तस्करों के खिलाफ पिट एनडीपीएस की कार्रवाई करनी चाहिए। देश में पिट एनडीपीएस की कार्रवाई बहुत कम हो रही है। छत्तीसगढ़ पुलिस को इसमें कार्रवाई करना चाहिए। केंद्रीय गृहमंत्री के निर्देश पर सबसे पहले मनेंद्रगढ़ एसपी ने पिट एनडीपीएस की कार्रवाई की थी। उसके बाद एक और जिले में कार्रवाई हुई। अब रायपुर पुलिस ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है।
एसएसपी संतोष सिंह ने बताया कि माना कैंप निवासी देंगा सरदार उर्फ बाबू गांजा का तस्कर है। उसके खिलाफ माना थाने में 10 से ज्यादा केस दर्ज हैं। गांजा और शराब तस्करी में वह 6 बार जेल जा चुका है। लगातार कार्रवाई के बाद भी वह सुधर नहीं रहा है। जेल से छूटने के बाद फिर गांजे की तस्करी करने लगता है। इसी तरह उरला का बैसाखू ध्रुव भी गांजे की तस्करी कर रहा है। उसके खिलाफ 8 से ज्यादा मामले है। दोनों के खिलाफ रायपुर संभाग आयुक्त को पिट एनडीपीएस की कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी। आयुक्त ने केस की सुनवाई कर दोनों को जेल भेज दिया है। रायपुर पुलिस कुछ और बदमाशों के खिलाफ पिट एनडीपीएस के तहत कार्रवाई करने वाली है।
क्या है पिट एनडीपीएस
पुलिस ने बताया कि पिट (पीआईटी) एनडीपीएस एक्ट 1988 की कार्रवाई उन नशे का कारोबार करने वाले अपराधियों पर किया जाता है, जो लगातार उस अपराध में शामिल पाए जाते हैं। यह कार्रवाई शासन की ओर से की जाती है। यह उन अपराधियों के खिलाफ लगाया जाता है, जिनका जेल में बंद किया जाना बेहद जरूरी हो जाता है।
संपत्ति भी अटैच करने की तैयारी
पुलिस अब तस्करों की संपत्ति भी अटैच करने की तैयारी कर रही है, ताकि आर्थिक नुकसान होने पर तस्कर नशे का अवैध कारोबार करना छोड़ दे। मंदिर हसौद पुलिस ने इसकी शुरुआत कर दी है। एक तस्कर की संपत्ति को अटैच करने के लिए प्रतिवेदन पेश किया है। इसमें शासन स्तर पर कार्रवाई चल रही है।