दिल्ली। अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) के पूर्व अधिकारी जॉन किरियाको ने पाकिस्तान को लेकर सनसनीखेज खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ ने अपने देश के परमाणु हथियारों का नियंत्रण अमेरिका को सौंप दिया था। किरियाको के अनुसार, वह वर्ष 2002 में पाकिस्तान में तैनात थे और उन्हें अनौपचारिक रूप से बताया गया था कि पाकिस्तान का परमाणु शस्त्रागार अमेरिकी पेंटागन के नियंत्रण में है।
उन्होंने दावा किया कि उस समय परवेज़ मुशर्रफ को डर था कि देश के परमाणु हथियार आतंकवादियों के हाथों में न चले जाएं। इसलिए उन्होंने खुद यह कदम उठाया। किरियाको ने कहा कि पाकिस्तान उस दौर में भारी भ्रष्टाचार से घिरा हुआ था, प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो विलासिता में लिप्त थीं, जबकि जनता भूख से जूझ रही थी। अमेरिका ने इस स्थिति का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान को करोड़ों डॉलर की आर्थिक और सैन्य सहायता दी — “एक तरह से हमने पाकिस्तान को खरीद लिया,” उन्होंने कहा।
सीआईए में 15 वर्षों तक कार्यरत रहे किरियाको ने आगे कहा कि अमेरिका को तानाशाहों के साथ काम करना आसान लगता है, क्योंकि वहां जनता या मीडिया के सवालों की चिंता नहीं होती। परवेज़ मुशर्रफ के शासनकाल में दोनों देशों के संबंध बेहद मजबूत थे। उन्होंने आरोप लगाया कि मुशर्रफ भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हुए भी अमेरिका के आतंकवाद-विरोधी अभियानों में सहयोग करने का दिखावा करते थे।
किरियाको के इन बयानों ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका की ओर से मिलने वाली सहायता के बावजूद पाकिस्तान की नीतियां भारत-विरोधी रहीं। इस खुलासे ने एक बार फिर अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

