रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना–शहरी के तहत गंभीर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की मार्च 2023 को समाप्त अवधि की प्रदर्शन व अनुपालन लेखा परीक्षा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पात्रता मानकों की अनदेखी कर 71 ऐसे लोगों को आवास का लाभ दिया गया, जो योजना के लिए अपात्र थे। इनमें से 51 लाभार्थी शहरी स्थानीय निकायों और विभिन्न सरकारी विभागों में पदस्थ अधिकारी और कर्मचारी हैं, जिनकी वार्षिक आय तीन लाख रुपये से अधिक थी।
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, पीएम आवास योजना–शहरी के दिशा-निर्देश स्पष्ट रूप से कहते हैं कि केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के तीन लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले परिवार ही योजना के तहत लाभ पाने के पात्र हैं। इसके बावजूद बिलासपुर, रायपुर, कोरबा और नगर पंचायत प्रेमनगर के शहरी निकायों में अपात्र हितग्राहियों का चयन किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई अधिकारियों और कर्मचारियों ने परिवार की आय को लेकर असत्य घोषणाएं देकर खुद को ईडब्ल्यूएस श्रेणी में दिखाया और योजना का लाभ उठा लिया।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि इन तथ्यों की जानकारी होने के बावजूद संबंधित शहरी स्थानीय निकायों ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की और अपात्र हितग्राहियों को अनुचित लाभ मिलता रहा। योजना के तहत क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी स्कीम, पार्टनरशिप में किफायती आवास, इन-सिटू स्लम पुनर्वास और हितग्राही आधारित व्यक्तिगत आवास जैसे घटक शामिल हैं, जिनका उद्देश्य पात्र शहरी परिवारों को पक्का घर उपलब्ध कराना है।
सीएजी ने एक और गंभीर खामी उजागर करते हुए बताया कि 250 हितग्राहियों के मामले में भूमि हस्तांतरण के दस्तावेजों की पुष्टि किए बिना ही 4.05 करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी कर दी गई। इस पर राज्य सरकार ने सफाई दी है कि दस्तावेज जमा कराने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि अपात्र लाभार्थियों की पहचान होते ही नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

