रोड एक्सीडेंट में घायलों को फ्री इलाज: ₹1.5 लाख तक का खर्च सरकार उठाएगी, पायलट प्रोजेक्ट सफल

नई दिल्ली। मार्च 2025 से देशभर में रोड एक्सीडेंट में घायलों को ₹1.5 लाख तक का मुफ्त इलाज मिलेगा। यह सुविधा प्राइवेट अस्पतालों के लिए भी अनिवार्य होगी। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) इस योजना को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी का काम करेगा।

NHAI के अधिकारियों के अनुसार, इस योजना के लिए मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162 में पहले ही संशोधन किया जा चुका है। इसे लागू करने से पहले पुड्डूचेरी, असम, हरियाणा और पंजाब समेत 6 राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया, जो सफल साबित हुआ।

इस तरह मिलेगा इलाज

सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को जैसे ही पुलिस, नागरिक या कोई संस्था अस्पताल पहुंचाएगी, उसका इलाज तुरंत शुरू कर दिया जाएगा। इस इलाज के लिए कोई भी फीस जमा नहीं करनी होगी। सरकारी और प्राइवेट दोनों अस्पतालों को कैशलेस इलाज देना होगा। घायल के साथ कोई परिजन हो या न हो, अस्पताल उसकी देखरेख करेगा।

मार्च में योजना को लांच किया था परिवहन मंत्री ने

सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 14 मार्च 2024 को इस योजना का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया था, और 7 जनवरी 2025 को इसे देशभर में लागू करने की घोषणा की। इस योजना के तहत, सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को अधिकतम ₹1.5 लाख की सहायता दी जाएगी, जिससे वह 7 दिनों तक अस्पताल में इलाज करा सकेगा।

बिल 1.5 लाख तक सरकार उठाएगी

अगर इलाज का खर्च ₹1.5 लाख तक आता है, तो इसे सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। यदि खर्च इससे अधिक हुआ, तो मरीज या उसके परिजन को बाकी का खर्च उठाना होगा। अधिकारियों का कहना है कि कोशिश की जा रही है कि इस राशि को बढ़ाकर ₹2 लाख तक किया जा सके।

सड़क हादसे के बाद का पहला घंटा ‘गोल्डन ऑवर’ कहलाता है, क्योंकि इस दौरान इलाज न मिलने से कई लोग जान गंवा देते हैं। इस योजना का उद्देश्य समय पर इलाज मुहैया कराकर मौतों की संख्या को कम करना है।

1.2 लाख जान लोगों ने गवाई

2023 में करीब 1.5 लाख लोग सड़क हादसों में मारे गए, और 2024 में जनवरी से अक्टूबर तक 1.2 लाख जानें गईं। इनमें से 30-40% लोग समय पर इलाज न मिलने के कारण मर गए। सड़क हादसों के घायलों के इलाज में औसतन ₹50,000 से ₹2 लाख का खर्च आता है, और गंभीर मामलों में यह ₹5-10 लाख तक बढ़ सकता है। इस मुफ्त इलाज योजना से हर साल करीब ₹10,000 करोड़ का बोझ पड़ेगा।

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